सार

वाराणसी में 20 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद प्रदर्शनकारियों ने जुलूस निकाला था। प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था। इस दौरान 12 वर्षीय किशोर की भीड़ की चपेट में आने से मौत हो गई थी। 

वाराणसी (उत्तर प्रदेश)। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में बजरडीहा में 20 दिसंबर को हुए उपद्रव के बाद मची भगदड़ में गिरफ्तार मोहम्मद नसीम के पिता सलीम की सदमे के कारण मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि वह बार-बार पुलिस से अपने बेटे को सामने लाने की मांग कर रहा था। हालांकि शव को बजरडीहा स्थित जख्खा कब्रिस्तान में सिपुर्द-ए-खाक किया गया।  

वीडियो के आधार पर हुआ था गिरफ्तार
पुलिस ने उद्रव के तैयार वीडियो और फोटो के आधार पर उपद्रवियों की पहचान की थी, जिसके आधार पर चार उपद्रवियों को गिरफ्तार किया था। इसमें 30 वर्षीय बजरडीहा (मुर्गिया टोला ) निवासी नसीम भी शामिल था। 

परिजन यह लगा रहे आरोप
परिजनों के अनुसार नसीम के पिता 50 वर्षीय सलीम उसी दिन से अपने बड़े बेटे के लापता होने का अंदेशा जताते हुए उसे सामने लाने की बात बार-बार कर रहे थे। नसीम के सामने नहीं लाए जाने पर उन्हें सदमा लगा और रविवार को मौत हो गई।

भगदड़ में हुई थी किशोर की मौत
20 दिसंबर को जुमे की नमाज के बाद बजरडीहा में सीएए के विरोध में प्रदर्शन करते हुए हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारियों ने जुलूस निकाला था। जुलूस को छाई के पास पुलिस ने रोक दिया था। ऐसे में प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया तो पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया था। इससे भगदड़ मच गई थी। इस दौरान 12 वर्षीय किशोर की भीड़ की चपेट में आने से मौत हो गई थी। 

बुनकर का काम करता था नसीम
परिवार में नसीम सबसे बड़ा है। मां खुशबुन्निसा की सात वर्ष पहले मृत्यु हो चुकी है। पिता सलीम मदनपुरा के लाल कोठी स्थित एकसाड़ी प्रतिष्ठान में मजदूरी का काम करते थे। उनके अन्य चार बेटे अंसार, निसार, इम्तियाज और इश्तियाख हैं। परिजनों के अनुसार बड़ा बेटा नसीम में बुनकरी का कार्य कर घर के खर्च में हाथ बंटाता था।