सार

याचिका दाखिल करने वाले हाजी महबूब अहमद ने कहा है कि उन्हें अदालत पर पूरा भरोसा है। लेकिन उन 32 लोगों को बरी किया जाना गलत था। वह इसके हकदार नहीं थे। उन्होंने कहा कि उन्हें छोड़ा नहीं जाना चाहिए था, फिर भी छोड़ दिया गया। इसलिए मुकदमा दायर किया गया है। अब फिर से बहस होगी, आगे अदालत के ऊपर है।

अनुराग शुक्ला
अयोध्या:
विवादित ढांचें को गिराने के मामले में विशेष सत्र न्यायालय से 32 लोगों को बरी कर दिए जाने के बावजूद एक बार फिर यह मामला अदालत की चौखट पर है। पुन: निरीक्षण याचिका पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ में  सुनवाई 18 जुलाई को है। याचिका दाखिल करने वाले हाजी महबूब अहमद ने कहा है कि उन्हें अदालत पर पूरा भरोसा है। लेकिन उन 32 लोगों को बरी किया जाना गलत था। वह इसके हकदार नहीं थे। उन्होंने कहा कि उन्हें छोड़ा नहीं जाना चाहिए था, फिर भी छोड़ दिया गया। इसलिए मुकदमा दायर किया गया है। अब फिर से बहस होगी, आगे अदालत के ऊपर है। हम चाहते हैं कि दोषियों को सजा मिले।

दुनिया असलियत जानती है न्यायालय पर भरोसा
हाजी महबूब अहमद ने कहा कि उन्हें पूरी उम्मीद है कि अदालत से मामला खारिज नहीं होगा। उन्होंने कहा बाबरी मस्जिद को गिराया गया था यह बात  दुनिया जानती है। अब अदालत का दरवाजा फिर से खटखटाया है। उन्होंने कहा देखिए क्या होता है ? एक बार फिर पूरे साक्ष्य को अदालत के समक्ष रखा जाएगा। बता दें अयोध्या निवासी हाजी महबूब अहमद व सैयद अखलाक अहमद की ओर से याचिका दाखिल की गई है। जिसमे अभियुक्तों को बरी किये जाने संबंधी सत्र न्यायालय के फैसले को चुनौती दी गई है।

लखनऊ की विशेष CBI अदालत ने नहीं मानी थी कोई साजिश
लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत ने बाबरी मस्जिद विध्वंस को साजिश नहीं माना था। बल्कि यह एक अचानक हुई घटना करार दे कर सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया था। जिसमें बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ,मुरली मनोहर जोशी ,उमा भारती ,विनय कटियार, साध्वी ऋतंभरा, महंत नृत्य गोपाल दास, डॉ रामविलास दास वेदांती, चंपत राय, महंत धर्मदास, लल्लू सिंह, प्रकाश शर्मा सहित 32 लोग थे। जिसमे 17 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई है। इन्हे एक बार फिर दोषी करार दिए जाने की गुजारिश की गई है।

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