सार

जौनपुर के टीपी पीजी कॉलेज में प्रोफेसर ने एक छात्रा को हिजाब पहकर आने के चलते क्लास से निकाल दिया। छात्रा का आरोप है कि राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रशांत ने उसे डांटा। कहा कि ऐसे काम पागल करते हैं। बुर्के को उतारकर फेंक देना चाहिए। 

जौनपुर। कर्नाटक में शुरू हुआ हिजाब विवाद (Hijab Controversy) उत्तर प्रदेश में भी पहुंच गया है। बुधवार को जौनपुर के टीपी पीजी कॉलेज में एक ऐसी घटना हुई, जिसे लेकर विधानसभा चुनाव वाले राज्य उत्तर प्रदेश में सनसनी फैल गई। आरोप है कि यहां एक छात्रा को प्रोफेसर ने क्लास से इस बात के लिए डांटकर भगा दिया कि उसने हिजाब पहन रखा था। 

छात्रा का आरोप है कि राजनीति विज्ञान के असिस्टेंट प्रोफेसर प्रशांत ने उसे डांटा। कहा कि ऐसे काम पागल करते हैं। बुर्के को उतारकर फेंक देना चाहिए। क्लास से निकाले जाने के बाद छात्रा रोती हुए घर पहुंची और परिवार के लोगों को घटना की जानकारी दी। छात्रा के भाई ने मामले की शिकायत पुलिस से करने की बात कही है। वहीं, मामले ने तूल पकड़ा तो शिक्षक ने सफाई दी कि ऐसी कोई बात नहीं थी, बेवजह मामले को तूल दिया जा रहा है। कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर अशोक सिंह ने कहा है कि मामले की जांच कराई जा रही है। अगर प्रोफेसर दोषी पाए जाते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

बीए फाइनल ईयर की है छात्रा
टीपी कॉलेज में क्लास से जिस छात्रा को हिजाब पहनकर आने के चलते निकाला गया उसका नाम जरीना है। वह बीए फाइनल ईयर की छात्रा है। बुधवार दोपहर दो बजे वह क्लास में हिजाब पहकर आई थी। वह अपनी सीट पर बैठने जा रही थी तभी प्रोफेसर प्रशांत ने उसे रोक दिया था। छात्रा का आरोप है कि प्रशांत ने उससे कहा कि वह बार-बार रोके जाने पर भी हिजाब पहनकर क्यों आती है।

कर्नाटक से शुरू हुआ था विवाद
बता दें कि कर्नाटक में हिजाब विवाद की शुरुआत उडुपी के एक कॉलेज से हुई थी। यहां जनवरी में हिजाब पर बैन लगा दिया था। इस मामले के बाद उडुपी के ही भंडारकर कॉलेज में भी ऐसा ही किया गया। अब यह बैन शिवमोगा जिले के भद्रवती कॉलेज से लेकर तमाम कॉलेज तक फैल गया है। इस मामले को लेकर रेशम फारूक नाम की एक छात्रा ने कर्नाटक हाईकोर्ट याचिका दायर की है। 

इसमें कहा गया कि हिजाब पहनने की अनुमति न देना संविधान के अनुच्छेद 14 और 25 के तहत मौलिक अधिकारों का हनन है। भंडारकर कॉलेज में हिजाब पहनी छात्राओं को कॉलेज के प्रिंसिपल ने अंदर नहीं आने दिया था। उनका तर्क था कि शासन के आदेश व कालेज के दिशा-निर्देशों के अनुसार उन्हें कक्षाओं में यूनिफॉर्म में आना होगा। जबकि छात्राओं का तर्क था कि वे लंबे समय से हिजाब पहनकर ही कॉलेज आती रही हैं। कर्नाटक हाईकोर्ट राज्य में मुस्लिम छात्राओं द्वारा दायर याचिकाओं के एक बैच को बड़ी बेंच के पास भेजा है।

 

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