सार
आगरा स्थित श्यामो गांव में बंदरों के प्रति अनोखा प्यार सामने आया है। इस गांव में बंदर के मरने के बाद हिंदू रीत-रिवाज के साथ उसका अंतिम संस्कार कर लोगों ने मुंडन करवाया है। बताया जा रहा है कि गांव में अब तेरहवीं की तैयारियां चल रही हैं।
आगरा: उत्तर प्रदेश के आगरा जिले से एक अनोखा मामला सामने आया है। जहां एक ओर कई शहरवासी बंदरों के आतंक से परेशान नजर आते हैं तो वहीं आगरा के पास एक ऐसा भी गांव है जहां पर बंदरों के मरने पर उनका पूरे विधी-विधान के साथ अंतिम संस्कार किया जाता है। इस गांव में रहने वाले स्थानीय लोगों ने बंदर की मौत होने पर उसका अंतिम संस्कार कर अपने बाल बनवा लिए है। इसके बाद अब ग्रामीण बंदर की तेरहवीं कराने की तैयारियों में जुटे नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि तेरहवीं का प्रसाद पूरे गांव में बांटा जाएगा।
हिंदू रीति-रिवाज से किया बंदर का अंतिम संस्कार
आगरा ताजगंज क्षेत्र स्थित श्यामों गांव में ग्रामीणों का बंदरों के प्रति प्रेम दर्शाने का यह अनोखा तरीका अपनाया है। ग्रामीणों ने बताया कि एक बंदर घायल हो गया था। जिसकी बाद में मौत हो गई। मौत के बाद ग्रामीणों ने बंदर की गांव के मंदिर परिसर में समाधी बनवा दी है। सिर्फ इतना ही नहीं ग्रामीणों ने पूरे विधी-विधान के साथ तीजे का कार्यक्रम कर मुंडन भी कराया है। बंदर के प्रति ग्रामीणों के इस अनोखे प्रेम का वीडियो इंटरनेट मीडिया पर वायरल हो रहा है। जानकारी के अनुसार, बीते गुरूवार श्यामो गांव में बंदरों के बीच जबरदस्त झगड़ा हो गया था। इसी झगड़े के दौरान एक बंदर बुरी तरह से जख्मी हो गया था।
गांव के लोगों ने करवाया मुंडन
जख्मी बंदर ने कुछ देर बाद दम तोड़ दिया था। जिसके बाद गांव के लोगों ने बंदर की पंचायत घर के मंदिर परिसर के पास उसकी समाधी बनवा दी थी। समाजसेवी विजय सिंह लोधी ने बताया कि गांव में अब से 13 दिनों तक शोक मनाया जाएगा। बताया जा रहा है कि हिन्दू रीति-रिवाज से तीजे का कार्यक्रम कर मुंडन संपन्न कराया गया। उसके बाद पूरे गांव में प्रसाद वितरण किया गया। बंदर के मरने पर मुंडन कराने वालों में रामफूल लोधी, अशोक राजपूत, मुरारी लाल स्वर्णकार, जितेन्द्र लोधी और शिवशंकर वर्मा आदि हैं। इस गांव में कुछ साल पहले भी इसी तरह की घटना होने पर बंदर का हिंदू रीति-रिवाज के साथ अंतिम संस्कार करवाया गया था।
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