सार
विकास दुबे को पुलिस दबिश की जानकारी काफी पहले हो चुकी थी। उसे शक था कि कहीं पुलिस एनकाउंटर करके उनको मार न दे, इसलिए उसने गुरुवार को ही अपने कई परिचितों को घर पर हथियारों के साथ बुला लिया था। जांच कर रही पुलिस ने आरोपी विकास दुबे के जानने वाले असलहाधारी लोगों के यहां छापेमारी की है। हालांकि ज्यादातर लोग फरार हैं।
लखनऊ (Uttar Pradesh) । आठ पुलिसकर्मियों की शहादत के बाद मुख्य आरोपी गैंगस्टर विकास दुबे की तलाश तेज कर दी गई है। खबर है 500 लोगों के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर हैं। बावजूद इसके हत्यारा विकास दुबे अभी पुलिस की पकड़ से दूर हैं। ऐसे में पुलिस को आशंका है कि वह दूसरे राज्यों में छिपा हो सकता है। इसके लिए 6 संभावित राज्यों में पुलिस को भेजा गया गया है। साथ ही बहराइच से सटे नेपाल सीमा पर आज गैंगस्टर विकास दुबे के पोस्टर चस्पा किए गए हैं।
विकास के 18 गुर्गों पर भी 25-25 हजार का इनाम
पुलिस ने विकास दुबे पर इनाम की राशि 50 हजार से बढ़ाकर एक लाख कर दी है। साथ ही उसके 18 गुर्गों पर भी 25-25 हजार का इनाम घोषित किया है। इनमें विकास के गुर्गे श्यामू बाजपेई, छोटू शुक्ला ,जेसीबी चालक मोनू, जहान यादव, दयाशंकर अग्निहोत्री, शशिकांत, पंडित शिव तिवारी, विष्णु पाल, राम सिंह, राम बाजपेई, अमर दुबे, प्रभात मिश्रा, गोपाल सैनी, वीरू भवन, शिवम दुबे, बालगोविंद और बउवा दुबे आदि शामिल हैं। वहीं पुलिस ने मोबाइल कॉल डिटेल के आधार पर कई लोगों को हिरासत में लिया है, जिनसे पूछताछ जारी है।
एनकाउंटर में मारे जाने का था डर
गैगेस्टर विकास दुबे को पुलिस दबिश की जानकारी काफी पहले हो चुकी थी। उसे शक था कि कहीं पुलिस एनकाउंटर करके उनको मार न दे, इसलिए उसने गुरुवार को ही अपने कई परिचितों को घर पर हथियारों के साथ बुला लिया था। जांच कर रही पुलिस ने आरोपी विकास दुबे के जानने वाले असलहाधारी लोगों के यहां छापेमारी की है। हालांकि ज्यादातर लोग फरार हैं।
चचेरे भाई और मामा को पुलिस ने मार गिराया
कानपुर में आठ पुलिसकर्मियों के शहीद होने के बाद कॉम्बिंग के दौरान गैंगेस्टर विकास दुबे के मामा प्रेमप्रकाश उर्फ प्रेमकुमार पांडेय व चचेरे भाई अतुल दुबे का एनकाउंटर कर दिया। पुलिस के मुताबिक प्रेमप्रकाश के शरीर पर गर्दन से नीचे सीने और पेट में तीन गोलियां लगीं थी, जो आरपार हो गईं, जबकि अतुल दुबे के शरीर में गर्दन के नीचे सीने, पेट, कमर आदि में कुल आठ से नौ गोलियां लगीं थीं। बीती रात पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद शव लेने जाने की सूचना परिजनों को दी। लेकिन, पुलिसियां कार्रवाई की डर के चलते शवों को कोई लेने नहीं आया। ऐसे में पुलिसकर्मियों ने ही भैरोघाट स्थित विद्युत शवदाह गृह में अंतिम संस्कार करा दिया।