सार

दो सालों से फरार चल रहे आईपीएस मणिलाल पाटीदार ने लखनऊ कोर्ट में सरेंडर किया। पुलिस और तमाम एजेंसी लगातार उनकी खोजबीन में जुटी हुई थी। 2014 बैच के आईपीएस मणिलाल पर आरोप है कि उन्होंने कारोबारी को सुसाइड के लिए उकसाया। 

लखनऊ: दो साल से फरार चल रहे आईपीएस अफसर मणिलाल पाटीदार ने लखनऊ कोर्ट में आत्मसमर्पण किया। शनिवार को मणिलाल पाटीदार ने यहां सरेंडर किया। वह महोबा में पुलिस अधीक्षक के पद पर तैनात थे उसी समय उन्हें भ्रष्टाचार के मामले में निलंबित कर दिया गया था। मणिलाल पाटीदार पर आरोप है कि उन्होंने महोबा के एक खनन व्यापारी से छह लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। इसके बाद उन्हें 9 सितंबर 2020 को निलंबित किया गया था तब से वह फरार थे।

पुरस्कार भी किया गया था घोषित 
आपको बता दें कि उन्हें व्यापारी को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में एसआईटी ने दोषी ठहराया था। इसके बाद महोबा कोतवाली में और विजिलेंस में मुकदमा दर्ज किया गया था। मणिलाल पाटीदार 2014 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। एडीजी जोन प्रयागराज ने उन पर एक लाख रुपए का पुरस्कार घोषित किया था। यूपी पुलिस और तमाम एजेंसी मणिलाल पाटीदार को पकड़ने में नाकाम साबित हुई थी। इसके बाद मणिलाल ने एडीजी 9 की कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। महोबा के खनन व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी ने 7 सितंबर 2020 को वीडियो वायरल कर पुलिस अधीक्षक पर आरोप लगाए थे। 

वीडियो जारी कर लगाए गए थे कई आरोप 
ज्ञात हो कि इंद्रकांत त्रिपाठी को 9 सितंबर 2020 को संदिग्ध परिस्थितियों में गोली लगी थी और उसके बाद उसका निधन 14 सितंबर को कानपुर के अस्पताल में हुआ था। प्रदेश सरकार ने तत्कालीन आईजी वाराणसी विजय सिंह मीणा की अध्यक्षता में एक एसआईटी का गठन किया गया था और जांच के लिए महोबा भेजा गया था। बार-बार बुलाए जाने के बाद भी पाटीदार एसआईटी के सामने पेश नहीं हुए थे। इसके बाद एसआईटी ने अपनी जांच में पाटीदार को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी भी पाया था। आपको बता दें कि इंद्रकांत ने वीडियो जारी कर आरोप लगाया था कि आईपीएस पाटीदार ने उनसे छह लाख रुपए की रिश्वत मांगी थी। आरोप लगा था कि रिश्वत न देने पर हत्या कराने या जेल भेजने की धमकी दी जाने लगी। 

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