सार
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महाशिवरात्रि का पावन पर्व लोक कल्याण के लिए प्रतिबद्ध होने की प्रेरणा देता है। देवों के देव महादेव जनमानस में सर्वमान्य रूप से पूजे जाते हैं। पर्व व त्योहार हमारी परंपरा और राष्ट्रीयता को मजबूत करने के प्रेरणास्पद अवसर हैं। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित ज्योतिर्लिंग राष्ट्रीय एकता के प्रतीक हैं।
लखनऊ: महाशिवरात्रि के पावन पर्व के अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर मंदिर में परिसर में विधि-विधान से देवाधिदेव महादेव का रुद्राभिषेक कर विश्व-कल्याण की कामना की। इस अवसर पर सीएम योगी ने प्रदेशवासियों को महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं दी। उन्होंने प्रदेशवासियों से महाशिवरात्रि पर्व के अवसर पर किए जाने वाले सभी अनुष्ठानों में कोविड-19 के प्रोटोकाल का पूर्ण पालन करने की अपील भी की है।
अपने शुभकामना संदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि महाशिवरात्रि का पावन पर्व लोक कल्याण के लिए प्रतिबद्ध होने की प्रेरणा देता है। देवों के देव महादेव जनमानस में सर्वमान्य रूप से पूजे जाते हैं। पर्व व त्योहार हमारी परंपरा और राष्ट्रीयता को मजबूत करने के प्रेरणास्पद अवसर हैं। भारत के विभिन्न क्षेत्रों में स्थित ज्योतिर्लिंग राष्ट्रीय एकता के प्रतीक हैं।
अखिलेश यादव ने दीं महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं
सपा मुखिया अखिलेश यादव ने प्रदेशवासियों को महाशिवरात्रि की शुभकामनाएं दी हैं। अपने शुभकामना संदेश में उन्होंने कहा कि भगवान शिव की भक्ति का यह विशेष दिन है। शिव कल्याण स्वरूप और शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवता माने जाते हैं। नफरत, विद्वेष और अलगाव की प्रवृत्तियों के विष को नष्ट किया जाना आज भी समय की मांग है। उन्होंने कामना की है कि भगवान शिव सभी को शांति, समृद्धि, सौहार्द और सौभाग्य का आशीर्वाद दें।
पांच पड़ावों की परंपरा है इस पवित्र यात्रा में...
काशी में महाशिवरात्रि का पर्व विशेष और काफी उत्साह के साथ मनाया जाता है। यहां कई दिनों पहले से ही इसका आयोजन शुरू हो जाता है। विभिन्न तैयारियों के साथ पंचकोशी यात्रा (Panch Koshi Yatra) का भी विशेष स्थान है। हजारों की संख्या में उत्साह और भक्ति से लबरेज होकर इसमें बेहद भक्तिपूर्ण किंतु अनुशासित रूप से भाग लेते हैं। सोमवार को मणिकर्णिका घाट पर युवाओं के हुजूम के कारण हर-हर महादेव, बोल बम और जय शंकर का घोष हर ओर गुंजायमान रहता। भोलेनाथ के नारों से पूरी काशी का माहौल शिवमय हो चला है। इस यात्रा के दौरान बीच में पड़ने वाले पांच पड़ावों पर ही विश्राम की परंपरा है। इन पांच पड़ावों की परंपरागत विश्राम के साथ यात्रा पूर्ण होती है। पंचकोशी परिक्रमा करने वाले परंपरानुसार इन पड़ावों पर विश्राम कर आगे बढ़ते हैं।