सार

मेरठ में हिंदू मुस्लिम समुदाय की ओर से खास बुलडोजर कांवड़ तैयार की जा रही है। यहां वर्षों से यही परंपरा चली आ रही है। कांवड़ के निर्माण में लगे लोग इस काम को आपसी सहयोग और भक्ति भावना से करते हैं। वह इसका कोई भी पैसा नहीं लेते। 

मेरठ: कांवड़ यात्रा के लिए जनपद में खास तैयारी की जा रही है। मेरठ में तैयार हो रही बुलडोजर कांवड़ को हिंदू और मुस्लिम दोनों ही समुदाय के युवा एकजुट होकर तैयार कर रहे हैं। तकरीबन 15 फीट की यह कांवड़ 15 जुलाई तक बनकर पूरी तरह से तैयार हो जाएगी। इलाके के युवा तकरीबन 5 दिनों से इस कांवड़ को बनाने में जुटे हुए हैं। इसके लिए लकड़ियों को छीलकर बुलडोजर की तरह से कांवड़ को तैयार किया जा रहा है। 

10 सालों से दोनों समुदाय के लोग मिलकर बना रहे कांवड़
क्षेत्र के युवा बताते हैं कि सीएम योगी आदित्यनाथ का काम देखने के बाद ही वह सभी मिलकर कांवड़ तैयार कर रहे हैं। मोहल्ले के मुस्लिम परिवार भी इस काम में सहयोग कर रहे हैं। युवा ही नहीं बच्चे भी कांवड़ को बनाने में जो सहयोग कर सकते हैं वह कर रहे हैं। यहां पिछले 10 सालों से दोनों ही समुदाय के लोग एकजुट होकर यह कार्य करते हैं। हर साल कांवड़ में कुछ न कुछ इनोवेशन किया जाता है। इस बार बुलडोजर की चर्चाएं हर ओर हैं और इसीलिए बुलडोजर कांवड़ तैयार की जा रही है। इसका वजन कितना रहेगा अभी इस बारे में कोई अंदाजा नहीं है।  

'कांवड़ बनाने पेशा नहीं भोले की भक्ति'
मोहल्ले के युवा बताते हैं कि पूर्वाजों के समय से यहां गंगा-जमुनी तहजीब की मिशाल देखने को मिल रही है। यहां ईद, मोहर्रम, होली, दिवाली सभी लोग आपस में मिलकर ही मनाते हैं। भले ही मुस्लिम परिवार कांवड़ लेकर नहीं जाते लेकिन वह इसकी तैयारियों में जरूर सहयोग करते हैं। कांवड़ बनाने में लागत के सवाल पर लोगों ने कहा कि इसकी कोई भी अंदाजा हम लोग नहीं लगाते हैं। यहां कोई भी इंसान कांवड़ बनाने का पैसा नहीं लेता है। यह किसी का पेशा नहीं है बल्कि भोले की भक्ति है। निर्माण में जो भी जरूरत का सामान होता है वह कोई न कोई आगे बढ़कर खुद से ही ले आता है। सभी लोग मिलकर दिली इच्छा से ये काम करते हैं। यह कोई व्यापार नहीं है। 

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