सार
यूपी के जिले मेरठ में मौलाना फर्राटेदार अंग्रेजी के साथ-साथ बच्चों को संस्कृत में श्लोक भी सुनाते है। इतना ही नहीं वह अपने नाम के आगे चतुर्वेदी भी लगाते है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ऐसे मौलाना समाज के लिए उदाहरण है।
मेरठ: उत्तर प्रदेश के जिले मेरठ में हैरान कर देने वाला मामला सामने आया है। ऐसा बहुत ही कम होता है कि मदरसे में संस्कृत पढ़ाई जाती हो लेकिन शहर के मशहूद उर रहमान शाहीन जमाली चतुर्वेदी मौलाना बाकायदा संस्कृत की शिक्षा देने के साथ-साथ कई बार श्लोक सुनाते भी नजर आते रहते है। इतना ही नहीं मौलाना फर्राटेदार अंग्रेजी भी बोल लेते है और अपने नाम के आगे चतुर्वेदी भी लगाते है। उनका कहना है कि उनके पिता भी अपने नाम के आगे चतुर्वेदी लगाते थे क्योंकि उनको वेदों से बहुत मोहब्बत थी।
शिक्षा के महत्व पर हुई थी प्रेस वार्ता
मौलाना मशहूद उर रहमान शाहीन जमाली चतुर्वेदी का कहना है कि उनका मदरसा एक सौ पैंतीस वर्ष पुराना है। उन्होंने बताया कि बच्चों को शिक्षा देने के साथ-साथ यहां पर परसैनिलिटी डेवलेपमेंट भी सिखाया जाता है। इसके अलावा मौलाना मदरसे में रिसर्च की भी वकालत करते हैं। दरअसल मदरसे में रविवार को शिक्षा का महत्व विषय पर प्रेंस कांफ्रेस का आयोजन हुआ। इस दौरान प्रसिद्ध आलिमे दीन मौलाना काजी अनिसुर रहमान साहब कासमी चेयरमैन डॉक्टर अब्दुल कलाम रिसर्च फाउंडेशन पटना, पूर्व चेयरमैन हज कमेटी बिहार सरकार, सदस्य ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी पहुंचे थे।
मदरसे में रिसर्च होने के बाद देश बढ़ेगा आगे
कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि मदरसे में अलग-अलग विषयों पर रिसर्च की भी सुविधा होनी चाहिए। वहीं ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य का कहना है कि मदरसे में रिसर्च होगा तो देश आगे बढ़ेगा। मदरसे में हर तरह के सर्वे का उन्होंने स्वागत करते हुए कहा कि जितना सर्वे होगा उतना मदरसे को फायदा होगा। इतना ही नहीं उन्होंने यूपी में वक्फ की संपत्ति पर हो रहे सर्वे को भी अच्छा बताया। दोनों ही मौलानाओं का कहना है कि शिक्षा का बच्चों पर असर पड़ता है। जिस समाज से सब आते है, वहां उनका वास्ता दूसरे धार्मिक भाइयों से होगा और जो कुछ उन्होंने सीखा है उसे जीवन में अपनाएंगे। मौलाना का यह रूप देखकर स्थानीय लोगों का कहना है कि आज के समय ऐसे मौलाना उदाहरण बन रहे हैं।