सार
परिजन बिना पोस्टमॉर्टम कराए शव को वापस लेकर चले गए।
कानपुर. यूपी के कानपुर में एमआरआई मशीन में पांच साल की बच्ची की मौत हो गई। करीब 2 घंटे तक बच्ची का शव मशीन के अंदर पड़ा रहा, जब इसकी भनक परिजनों को लगी तो हंगामा शुरू हो गया। परिजन बिना पोस्टमॉर्टम कराए शव को वापस लेकर चले गए।
क्या है पूरा मामला
मामला हैलट हॉस्पिटल का है। फतेहपुर जिले के रहने वाले बाबू की बेटी सोफिया के पैर काम नहीं कर रहे थे। बाबू ने बताया, पहले बेटी को फतेहपुर के जिला अस्पताल में भर्ती कराया। वहां से डॉक्टरों ने हैलट अस्पताल रेफर कर दिया। यहां बाल रोग विभाग में उसका इलाज चल रहा था। डॉक्टरों ने बच्ची के ब्रेन और स्पाइन की एमआरआइ कराने को कहा। हम बच्ची को हॉस्पिटल परिसर में बने एपी डायग्नोसिस सेंटर ले गए, जहां पर हमसे 9 हजार रुपए जमा करा लिए गए। वहां के कर्मचारियों ने बच्ची को बेहोशी का इंजेक्शन लगाया और उसे एमआरआइ के लिए ले गए।
मौत के पीछे परिजनों ने बताई ये वजह
बाबू पे बताया, करीब दो घंटे तक बच्ची को अंदर रखा, जब हमने डॉक्टरों ने से पूछा कितना समय लगेगा तो कोई जानकारी नहीं दी गई। जब सख्ती दिखाई तो एमआरआई मशीन से निकाल कर बच्ची को हमे थमा दिया। बेहोशी हालत हर उसे इमरजेंसी में ले गए, जहां डॉक्टरो ने उसे मृत घोषित कर दिया। बता दें, बच्चों को एमआरआई मशीन में रखने से पहले बेहोशी का इंजेक्शन लगाया जाता है। परिजनो का आरोप है कि बेहोशी के इंजेक्शन का ओवरडोज देने की वजह से बच्ची की मौत हुई। बच्ची की मां रूबीना का आरोप है कि डायग्नोसिस सेंटर में प्रशिक्षित डॉक्टर नहीं थे। बेटी को जब अंदर ले गए, तो वो ठीक थी, लेकिन बाहर आने पर उसकी मौत हो चुकी थी।
अनुबंध खत्म होने के बाद भी चल रहा था डायग्नोसिस सेंटर
जानकारी के मुताबिक, एपी डायग्नोसिस सेंटर का जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज से संबद्ध एलएलआर हॉस्पिटल से अनुबंध था। 26 अपैल 2018 को यह करार समाप्त हो चुका था। इसके बाद भी ये डायग्नोसिस सेंटर चल रहा था।