सार

धरतीपुत्र और नेताजी जैसे नामों से पहचाने जाने वाले नेता मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) अब हम सबके बीच नहीं रहे। लेकिन वे ऐसे नेता के तौर पर याद किए जाएंगे जिन्होंने फर्श से अर्श तक का सफर तय किया। हालांकि नेताजी के पीएम बनने का सपना अधूरा ही रह गया।
 

Mulayam Singh Yadav PM Dream. देश की राजनीति का वह सितारा खो गया जिन्हें नेताजी यानी मुलायम सिंह के यादव के नाम से जाना जाता है। लंबी बीमारी के बाद मेदांता हॉस्पिटल में उनका निधन हो गया। 82 साल की उम्र में मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया। वे बीते 26 सितंबर से गुरूग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में भर्ती रहे, जहां 10 अक्टूबर को उन्होंने अंतिम सांस ली। यूपी के चार बार मुख्यमंत्री रच चुके मुलायम 8 बार सांसद भी बने। देश के रक्षामंत्री का पदभार भी संभाला। एक बार ऐसा भी हुआ जब उन्हें पीएम पद की शपथ दिलाई जाने वाली थी। हालांकि यह सपना अधूरा ही रह गया।

राष्ट्रीय राजनीति में चमके मुलायम
देश की राजनीति में एक वक्त ऐसा भी आया जब मुलायर सिंह यादव उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय राजनीति की धुरी बन गए गए थे। ग्रह-नक्षत्र कुछ ऐसे बने 1996 में वे प्रधानमंत्री बनने के बेहद करीब पहुंच गए थे। मुलायम सिंह यादव के शपथ ग्रहण की तैयारियां भी चल रही थी लेकिन ठीक ऐन वक्त पर लालू प्रसाद यादव और शरद यादव ने ऐसी पलटी मारी कि मुलायम सिंह यादव का पीएम बनने का सपना पूरा नहीं हो पाया। हालांकि तब भी नेताजी ने देश के रक्षा मंत्री का पद संभालकर राष्ट्रीय राजनीति में अपनी चमक छोड़ी। 

तब क्या हुआ था यह भी जानें
देश में राम मंदिर आंदोलन के बाद माहौली पूरी से बदला हुआ था। तब 1996 में हुए आम चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने कुल 161 सीटें जीती और देश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। अटल बिहारी वाजपेयी ने पीएम पद की शपथ ली और प्रधानमंत्री बन गए लेकिन सदन में 1 वोट से उनकी सरकार महज 13 दिनों में ही गिर गई। इसके बाद सभी दलों ने संयुक्त मोर्चा बनाया और मुलायम सिंह यादव का पीएम बनना तय हो गया। यहां तक कि मुलायम सिंह यादव कब पीएम पद की शपथ लेंगे यह भी तय हो गया था। उसी वक्त लालू प्रसाद यादव और शरद यादव अड़ गए और मुलायम सिंह के नाम पर सहमति नहीं बन पाई। फिर किसी तरह से एचडी देवेगौड़ा के नाम पर सहमति बनी और मुलायम सिंह यादव देश के रक्षामंत्री बने। 

दोबारा फिर लालू यादव अड़े
मुलायम सिंह यादव की कुंडली में शायद पीएम पद तक पहुंचने की बात थी और एचडी देवगौड़ा 1 साल से ज्यादा समय तक प्रधानमंत्री नहीं रह सके। तब फिर से मुलायम सिंह चर्चा में आए और ज्यादातर पार्टियां उनके पक्ष में आ गईं। हालांकि लालू प्रसाद यादव फिर से मुलायम सिंह यादव के सामने आ गए। तब लालू ने यह कहकर सनसनी फैला दी कि यदि किसी यादव को ही प्रधानमंत्री बनाना है तो लालू यादव को क्यों नहीं बनाया जा सकता। इस विरोध के बाद फिर से मुलायम सिंह यादव पीएम बनने से चूक गए। हालांकि राष्ट्रीय राजनीति में उनका दबदबा 2014 तक बना रहा। 

यह भी पढ़ें

कुश्ती के दांव को पॉलिटिक्स में आजमाने वाले पहले नेता थे मुलायम, पहली बार सीएम बनने के लिए मारा था 'चरखा दांव'