सार
यूपी विधानसभा सत्र के दौरान अखिलेश यादव द्वारा उठाए गए मुद्दों को रोकने पर वह और उनके पार्टी के विधायक सदन से वॉकआउट कर गए। पार्टी विधायकों ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार जनता के मुद्दों को सुनना ही नहीं चाहती है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधानसभा के मॉनसून सत्र के आखिरी दिन यानि की शुक्रवार को सुबह से ही अखिलेश यादव और सपा का रवैया काफी अक्रामक रहा। पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने शुक्रवार की सुबह 12 विधायकों के साथ राज्यपाल आनंदी बेन पटेल से राज्यभवन में मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने आजम खान के साथ ज्यादती को रोकने के लिए ज्ञापन भी दिया। राज्यपाल से मुलाकात के बाद अखिलेश यादव ने विधानसभा पहुंचते ही इलाहाबाद यूनिवर्सिटी फीस का मुद्दा उठाना चाहा। इस पर विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने उन्हें रोक दिया और कहा कि पहले प्रश्नकाल हो जाने दीजिए।
अखिलेश यादव और सपा विधायकों ने सदन से किया वॉकआउट
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना द्वारा उन्हें रोके जाने पर सपा विधायकों ने वहां से वॉकआउट कर दिया। पार्टी विधायकों ने सरकार को घेरते हुए कहा कि जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर किए गए प्रश्नों का उत्तर सरकार नहीं दे रही है। वहीं पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि केवल चार दिन सदन चला है और कई सवालों पर सरकार का अब तक जवाब नहीं आया। सपा विधायकों के साथ वॉकआउट और पैदल मार्च के दौरान राष्ट्रीय लोकदल के विधायक भी इसमें शामिल रहे। इलाहाबाद यूनिवर्सिटी में फीस बढ़ाने के मामले को उठाते हुए कहा कि सरकार छात्रों के साथ अच्छा नहीं कर रही है।
विधायकों ने सरकार पर लगाए गंभीर आरोप
सदन से वॉकआउट करने के बाद अखिलेश यादव की अगुवाई में सपा विधायक और पार्टी कार्यकर्ता विधानसभा से पैदल ही पार्टी तक के लिए निकल पड़े। इस दौरान सपा नेताओं ने कहा कि सरकार गूंगी बहरी हो गई है। वह जनता के मुद्दों और विपक्ष के सवालों का सामना नहीं करना चाहती है। इस समय महंगाई, बेरोजगारी, कानून-व्यवस्था समेत कई सारे मुद्दे हैं। ऐसे में केवल 4 दिन के सत्र का कोई मतलब नहीं बनता है। इसलिए जनते से जुड़े तमाम मुद्दों को सरकार तक पहुंचाने के लिए वह सड़क पर उतरे हैं। अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी कार्यालय पहुंचकर सपा और रालोद विधायकों के साथ एक मीटिंग भी की है। इस मीटिंग में उन्होंने आगे की रणनीति को लेकर विधायकों को अहम दिशा निर्देश दिए हैं।
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