सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय जिले में आठों विधानसभा सीटों पर भगवा लहराया हैं। शहर उत्तरी विधानसभा सीट पर राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल ने जीत की हैट्रिक लगाई तो वहीं दक्षिणी विधानसभा में संघर्षपूर्ण मुकाबला देखने को मिला। इस सीट पर राज्यमंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी ने अंतिम तीन चक्र में चुनाव के परिणाम को बदल दिया और अपनी जीत हासिल की। 

अनुज तिवारी 
वाराणसी:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय जिले में आठों विधानसभा सीटों पर भगवा लहराया हैं। शहर उत्तरी विधानसभा सीट पर राज्यमंत्री रविंद्र जायसवाल ने जीत की हैट्रिक लगाई तो वहीं दक्षिणी विधानसभा में संघर्षपूर्ण मुकाबला देखने को मिला। इस सीट पर राज्यमंत्री डॉ नीलकंठ तिवारी ने अंतिम तीन चक्र में चुनाव के परिणाम को बदल दिया और अपनी जीत हासिल की। आपको बता दें कि इस विधानसभा सीट में भारतीय जनता पार्टी राम मंदिर आंदोलन से विजय हासिल करती आई है और इस परंपरा को पुनः एक बार नीलकंठ तिवारी ने दोहराया है। वही कैंट विधानसभा क्षेत्र से सौरभ श्रीवास्तव ने जीत हासिल की इस विधानसभा सीट पर 90 के दशक से एक ही परिवार भारतीय जनता पार्टी के बैनर तले जीत हासिल करती आई हैं। इस परंपरा को सौरभ श्रीवास्तव ने पुनः दोहराया हैं। 

क्या है जीत का मायने 
वाराणसी की 8 विधानसभा सीटों पर लोगों की नाराज़गी विधायक के प्रति देखने को मिली। लेकिन एक बार पुनः 2017 की तरह मोदी मैजिक बनारस में देखने को मिला जिस तरह से चुनाव के अंतिम समय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां पर चुनावी रैली और बैठक की है। पूरे चुनाव का रूप वही से बदलना शुरू हो गया। यही वजह है कि बनारस के आठों विधानसभा सीटों पर मोदी और योगी के चेहरे पर लोगों ने अपना मताधिकार प्रयोग किया और भारतीय जनता पार्टी 8 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की है।

बीजेपी के कौन से कार्य जनता को आए पसन्द
पूरे प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी के कार्यों को लेकर लोगों में बातचीत हो रही है। लोगों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी ने जिस तरह से प्रदेश में गुंडा मुक्त राज्य स्थापित किया। साथ ही साथ गरीबों को मुफ्त राशन मुहैया कराया। यह भारतीय जनता पार्टी के लिए सबसे बड़ा गेमचेंजर साबित हुआ। यही वजह है कि पूरे चुनाव में बुलडोजर बाबा के नाम से प्रसिद्ध योगी आदित्यनाथ को लोगों ने अपना आशीर्वाद दिया। लोगों का मानना था कि बुलडोजर बाबा ने जिस तरह से अपराधियों पर कार्यवाही की उससे प्रदेश भयमुक्त गुंडा मुक्त राज्य बन कर उभरा। साथ ही साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में कोरोनाकाल के समय जिस तरह से लोगों को मुफ्त राशन दिया गया। वह गरीबों को काफी लाभ पहुंचाया है। सरकार के इन सभी कार्यों से लोगों को बड़ी उम्मीद दिखी और एक बार पुनः लोगों ने भारतीय जनता पार्टी पर विश्वास कर लखनऊ के गद्दी पर योगी आदित्यनाथ को बैठाने का निर्णय लिया।

जीत तो मिली पर विधायकों को मिला बड़ा सबक
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के विधायकों को कड़ी मशक्कत और कड़ी टक्कर देखने को मिली। यही वजह है कि विधायकों को एक शब्द भी मिला कि उन्हें अब अपने विधानसभा क्षेत्र में कार्य करना होगा क्योंकि जनता ने इस बार मोदी और योगी के नाम पर उन्हें अपना आशीर्वाद दिया है। लेकिन जनता विधायक के कार्यों से काफी नाराज दिख रही और कुछ विधानसभा क्षेत्रों में बीजेपी के हारने की वजह भी यही रही। विधायकों का रिपोर्ट कार्ड अब देखना यह होगा कि आगामी 5 सालों में विधायक इससे कितना सबक लेते हैं और अपने कार्यों में कितना बदलाव लाते हैं। फिलहाल भारतीय जनता पार्टी ने भी इस बार साफ किया है कि विधायकों के रिपोर्ट कार्ड पर ही उनके प्रोग्रेस और उनके ऊपर संगठन विचार करेगा।

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