उधर हाथ लंबा करोगे तो लखनऊ में योगी जी, इधर लंबा करोगे तो दिल्ली में मैं हूं ही आपके लिए। विकास की गति को और बढ़ाना है। नए साल में हम नए जोश के साथ आगे बढ़ेंगे। एक बार फिर मेजर ध्यानचंद स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी के लिए बहुत-बहुत बधाई।
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| Published : Jan 02 2022, 11:55 AM IST / Updated: Jan 02 2022, 02:59 PM IST
Pm Modi Meerut Live : पीएम मोदी ने रिमोट का बटन दबाकर खेल विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया
मेरठ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) प्रदेश के पहले मेजर ध्यानचंद खेल विश्वविद्यालय (Major Dhyan Chand sport university) की आधारशिला रखने मेरठ पहुंचे। पीएम ने भगवान औधर्णनाथ मंदिर के दर्शन किए। आधुनिक और उत्कृष्ट खेल अवसंरचना से लैस मेजर ध्यानचंद खेल विश्वविद्यालय की आधारशिला रखने से पहले पीएम ने खिलाड़ियों से बात की। यह खेल विश्वविद्यालय करीब ढाई वर्ष में तैयार होगा। हाकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद के नाम से बन रहा विश्वविद्यालय मेरठ के सरधना कस्बे के सलावा और कैली गांव में स्थापित किया जा रहा है। पीएम ने रिमोट का बटन दबाकर इसका शिलान्यास किया।
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ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने हमारी सरकार निरंतर काम कर रही है। कल ही किसान सम्मान निधि के रूप में यूपी के लाखों किसानों के खातों में करोड़ों रुपए ट्रांसफर किए गए हैं। पहले जो सत्ता में थे, उन्होंने गन्ने का मूल्य तरसा-तरसाकर किया। योगीजी की सरकार में जितना गन्ना का भुगतान किया गया, उतना पहले की दोनों सरकारों में मिलाकर भी नहीं हुआ। पहले की सरकार में चीनी मिलें कौड़ियों के भाव बेची गईं। योगीजी की सरकार में मिलें बंद नहीं होतीं, मिलों का विस्तार होता है। अब यूपी गन्ने से बनने वाले एथेनॉल के उत्पादन में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। बीते 4 साल में 12 हजार करोड़ का एथेनॉल यूपी से खरीदा गया है। सरकार कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर और फूड प्रोसेसिंग को तेजी से विस्तार दे रही है।
सरकारों की भूमिका अभिभावक की तरह होती है। ऐसा नहीं है कि गलती होने पर सरकार कह दे कि लड़कों से गलती हो जाती है। यूपी के 75 जिलों में 23 लाख से अधिक घरौनी दी जा चुकी है। चुनावों के बाद योगीजी की सरकार इस अभियान को और तेज करेगी।
नई नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में भी खेल को प्राथमिकता दी गई है। खेलों को अब पढ़ाई में एक्स्ट्रा एक्टिविटी नहीं माना जाएगा। खेल स्कूलों की पढ़ाई में बाकयदा एक विषय हाेगा। यूपी में डबल इंजन सरकार कई विश्वविद्यालयों की स्थापना कर रही है। हमारा ध्येय साफ है। हमारा युवा न सिर्फ रोल मॉडल बने, वो अपने रोल मॉडल पहचाने भी।
खेल की दुनिया से जुड़ी एक और बात हमें याद रखनी है। खेल से जुड़ी सर्विस और सामान का वैश्विक बाजार लाखों करोड़ रुपए का है। मेरठ से ही 100 से अधिक देशों को खेलों का सामान निर्यात होता है। मेरठ लोकल के लिए वोकल तो है ही लोकल को ग्लोबल भी बना रहा।
सरकार गांव गांव में आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण कर रही है। पहले बेहतर स्टेडियम सिर्फ बड़े शहरों में थे। आज गांवों में भी यह सुविधा दी जा रही है। खेलों के लिए जरूरी संसाधन होंगे तो देश में खेलों की संस्कृति विस्तार लेगी। इसीलिए यह स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी जरूरी है। हमारी सरकार ने देश में पहली स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी मणिपुर में स्थापित की। आज यह एक और संस्थान देश को मिला है।
पिछले साल हमने ओलिंपिक, पैरालिंपिक में देखा, जो इतिहास में पहले कभी नहीं हुआ वो पिछले ओलिंपिक में मेरे देश के वीर बेटे-बेटियों ने करके दिखाया। मेडल की ऐसी झड़ी लगाई कि देश बोल उठा- खेल के मैदान में भारत का उदय हो गया है।
हमने स्पोर्ट्स को युवाओं की फिटनेस को उनके करियर से जोड़ा है। टारगेट ओलिंपिक्स स्कीम यानी टॉप्स ऐसा ही प्रयास है। आज सरकार खिलाड़ियों को खाने-पीने और ट्रेनिंग तक लाखों करोड़ की मदद दे रही है। खिलाड़ियों को इंटर नेशनल लेवल का एथलीट बनाने हर मदद की जा रही है।
पहले शहर में जब कोई युवा अपनी पहचान एक खिलाड़ी के रूप में बताता था तो सामने वाले पूछते थे कि अरे बेटे खेलते हो, लेकिन काम क्या करते हो। यानी खेल की कोई इज्जत नहीं मानी जाती थी। गांव में कोई खुद को खिलाड़ी बताता तो लोग कहते थे चलो फौज या पुलिस में नौकरी के लिए खेल रहा होगा। खेलों के प्रति सोच और समझ का दायरा बहुत सीमित था। ये सरकारों का दायित्व था कि समाज में खेल के प्रति सोच को बदलकर खेल को बाहर निकालना बहुत जरूरी था। लेकिन हुआ उल्टा। ज्यादातर खेलों के प्रति देश में बेरुखी बढ़ती गई। परिणाम ये हुआ कि जिस हॉकी में गुलामी के कालखंड में भी मेजर ध्यानचंदजी जैसी प्रतिभाओं ने देश को गौरव दिलाया, उसमें भी मेडल के लिए हमें दशकों का इंतजार करना पड़ा। दुनिया की हॉकी एस्ट्रोटर्फ की तरफ बढ़ गई, लेकिन हम वहीं रह गए। जब तक हम जागे बहुत देर हो चुकी थी। ट्रेनिंग से टीम सिलेक्शन तक हर स्तर पर भाई भतीजावाद, बिरादरी, भ्रष्टाचार और पारदर्शिता का नामोंनिशान नहीं था। हॉकी तो एक उदाहरण है। ये हर खेल की कहानी थी।
आज हम देखों तो साइंस से लेकर साहित्य तक, स्टार्टअप से लेकर स्पोर्ट्स तक हर तरफ भारत के युवा छाए हैं। खेल की दुनिया में आने वाले हमारे युवा पहले भी सामर्थ्यवान थे। उनकी मेहनत में कोई कमी नहीं थी। हमारे देश में खेल संस्कृति भी बहुत समृद्ध रही है। गांवों में हर उत्सव, त्योहार में खेल अहम हिस्सा रहे हैं। मेरठ में होने वाले दंगल और उसमें घी के पीपे और लड्डुओं का पुरस्कार मिलता है, उस स्वाद के लिए किसका मन मैदान में उतरने के लिए न हो। लेकिन पहले की सरकार की नीतियों की वजह से खेल और खिलाड़ियों को उनकी तरफ देखने का नजरिया बहुत अलग रहा।
यहां मेरठ के सोतीगंज बाजार में गाड़ियों के साथ होने वाले खेल का भी अब द एंड हो रहा है। अब यूपी में असली खेल को बढ़ावा मिल रहा है। यूपी के युवाओं को खेल की दुनिया में छाने का मौका मिल रहा है। जिस पथ पर महान विभूतियां चलें, वही हमारा पथ है। लेकिन अब हिंदुस्तान बदल चुका है। अब हम 21वीं सदी में हैं। इस नए भारत में सबसे बड़ा दायित्व हमारे युवाओं के पास है। इसलिए मंत्र बदल बदल गया है। इसका मंत्र है... युवा जनो ये न गता स पंथह... जिस मार्ग युवा चल दे, वही मार्ग देश का मार्ग है। जिधर युवाओं के कदम बढ़ जाएं, मंजिल अपने आप चरण चूमने लग जाती है। युवा नए भारत का कर्णधार भी है। युवा नए भारत का विस्तार भी है। युवा नए भारत का नियंता भी है और युवा नए भातर का नेतृत्वकर्ता भी है। हमारे आज के युवाओं के पास प्राचीनता की विरासत भी है, आधुनिकता का बोध भी है और इसलिए जिधर युवा चलेगा, उधर भारत भी चलेगा।
साथियों पहले की सरकारों से यूपी में अपराधी अपना खेल खेलते थे। माफिया अपना खेल खेलते थे। पहले यहां अवैध कब्जे के टूर्नामेंट होते थे। बेटियों पर फब्तियां कसने वाले खुलेआम घूमते थे। हमारे मेरठ और आसपास के लोग कभी भूल नहीं सकते कि लोगों के घर जला दिए जाते थे और पहले की सरकार अपने खेल में लगी रहती थी। इसी का नतीजा था कि लोग अपना पुश्तैनी घर छोड़कर पलायन के लिए मजबूर हो गए थे। अब योगीजी की सरकार ऐसे अपराधियों के साथ जेल - जेल खेल रही है।
आज मेरठ की स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी मेजर ध्यानचंदजी को समर्पित की जा रही है। और जब इस यूनिवर्सिटी का नाम मेजर ध्यानचंदजी से जुड़ जाता है ताे उनका पराक्रम तो प्रेरणा देता ही है लेकिन उनके नाम में भी एक संदेश है। उकने नाम में जो शब्द है ध्यान... बिना ध्यान केंद्रित किए कभी भी सफलता नहीं मिलती। इसलिए जिस यूनिवर्सिटी का नाम ध्यानचंद से जुड़ा हो वहां पूरे ध्यान से काम करने वाले नौजवान देश का नाम रोशन करेंगे, ये पूरा विश्वास है।
राष्ट्र के लिए सीमा पर बलिदान हो या खेल के मैदान में राष्ट्र के लिए सम्मान, राष्ट्रभक्ति की अलख को इस क्षेत्र ने सदा-सर्वदा प्रज्ज्वलित रखा है। नूरपुर मड़ैया ने चौधरी चरण सिंह जी के रूप में देश को एक विजनरी नेतृत्व दिया। मेरठ देश की एक और महान संतान मेजर ध्यानचंदजी की कर्मस्थली रहा है। कुछ महीने पहले केंद्र सरकार ने देश के सबसे बड़े खेल पुरस्कार का नाम दद्दा के नाम पर कर दिया।
साल की शुरुआत में मेरठ आना अपने आप में अहम है। इतिहास में मेरठ का स्थान सिर्फ एक शहर का नहीं है, बल्कि मेरठ हमारी संस्कृति, हमारे सामर्थ्य का भी महत्वपूर्ण केंद्र है। मेरठ की देश की आस्था को ऊर्जावान किया है। सिंधु घाटी की सभ्यता से लेकर देश के पहले स्वतंत्रता संग्राम तक इस क्षेत्र ने दुनिया को दिखाया है कि भारत का सामर्थ्य क्या है। मेरा सौभाग्य है कि यहां आने से पहले मुझे बाबा औघड़नाथ मंदिर जाने का अवसर मिला। अमर जवान ज्योति भी गया। स्वतंत्रता संग्राम संग्राहलय में उस अनुभूति को महसूस किया जो देश की आजादी के लिए कुछ कर गुजरने वालों के दिलों में लालायित थी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री को स्मृति चिह्न देकर उनका स्वागत किया। योगी ने कहा कि विजिबिलिटी कम होने के कारण पीएम सड़क मार्ग से यहां आए। मैं इसके लिए प्रधानमंत्री जी का आभारी हूं, जिन्होंने देश के सर्वोच्च खेल पुरस्कार का नाम हाॅकी के जादूगर मेजर ध्यानचंद जी के नाम पर रखा।
पीएम मोदी ने खेल उत्पादों की प्रदर्शनी देखी। इस दौरान एक फिटनेस मशीन देखकर वे खुद को रोक नहीं पाए। उन्होंने खुद उस पर एक्सरसाइज की।
कुछ ही देर में पीएम मेजर ध्यानचंद खेल विश्वविद्यालय का शिलान्यास करने वाले हैं। यह खिलाड़ियों को विश्व के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने के लिए तैयार करेगा। ये आने वाले समय में खिलाड़ियों का तीर्थ बनेगा।
पीएम मोदी यूपी के पहले खेल स्टेडियम का उद्धाटन करने पहुंच चुके हैं। यहां जबरदस्त भीड़ उमड़ी है। मोदी यहां खिलाड़ियों से बात कर रहे हैं मोदी। उनके साथ ओलिंपियन और पैरा ओलिंपियन खिलाड़ी मौजूद हैं।
मेरठ पहुंचे प्रधानमंत्री की एक झलक पाने के लिए लोगों में भारी उत्साह नजर आया। यहां सड़कों पर पुलिस ने बैरीकेड्स लगाकर रखे। पीएम मोदी ने सड़क से गुजरते वक्त कार के अंदर से ही हाथ हिलाकर लोगों का अभिवादन स्वीकार किया।