सार

कोरोना संकट के कारण पूरे देश में लॉकडाउन लागू है। यूपी सरकार द्वारा ने इसे देखते हुए प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूलों से मौजूद सत्र में फीस न बढ़ाने का आदेश जारी किया था। लेकिन प्राइवेट स्कूलों ने सरकार के इस आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चुनौती दी है

लखनऊ(Uttar Pradesh). कोरोना संकट के कारण पूरे देश में लॉकडाउन लागू है। यूपी सरकार द्वारा ने इसे देखते हुए प्रदेश के सभी प्राइवेट स्कूलों से मौजूद सत्र में फीस न बढ़ाने का आदेश जारी किया था। लेकिन प्राइवेट स्कूलों ने सरकार के इस आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में चुनौती दी है। प्राइवेट स्कूलों की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। हाईकोर्ट ने एडवोकेट जनरल को नोटिस जारी कर सरकार से इस संबंध में 18 जून तक जवाब मांगा है।

गौरतलब है लॉकडाउन के कारण सभी उद्योग धंधे, दुकानें, शिक्षण संस्थान सभी तकरीबन 2 महीने से बंद हैं । इस समय ज्यादातर लोगों पर रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। इसके मद्देनजर सूबे की योगी सरकार ने प्राइवेट स्कूलों से इस सत्र में फीस न बढ़ाने को कहा था। सरकार के इस आदेश के बाद से ही लगातार प्राइवेट स्कूलों द्वारा इसका विरोध किया जाता रहा है। लेकिन अब स्कूल संचालकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। स्कूल संचालकों ने सरकार के इस फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में याचिका दायर किया है।  

स्कूलों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पेश की दलीलें
वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई इस याचिका की सुनवाई में प्राइवेट स्कूलों की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अपनी दलीलें पेश की। याचिका अधिवक्ता कपिल सिब्बल द्वारा ऐसे स्कूलों को फीस न बढ़ाने के आदेश के खिलाफ चुनौती दी है जिन्हें कोई सरकारी सहायता नही प्राप्त है। इसमें यूपी आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005 को गैरकानूनी घोषित करने की मांग की गई है। 

फीस बढ़ाने से रोक लगाने के आदेश को बताया असंवैधानिक 
सरकार के 27 अप्रैल 2020 व 1 मई 2020 के आदेशों को चुनौती देते हुए कहा गया कि कोरोना महामारी के नाम पर गैर सहायता प्राप्त स्कूलों के इस वर्ष फीस वृद्धि पर रोक लगा दी गई है जो कि मनमाना, अतार्किक एवं असंवैधानिक है। वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने दलील दी कि उत्तर प्रदेश सेल्फ फाईनेंस इंडिपेंडेंट स्कूल्स एक्ट 2018 के तहत फीस वृद्धि की जा सकती है। फीस वृद्धि के सम्बंध में बिना किसी अभिभावक की आपत्ति आए, सरकार ने स्वतः संज्ञान लेकर यूपी आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत उक्त आदेश जारी कर दिए। याचिका में उत्तर प्रदेश आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 को भी असंवैधानिक घोषित करने की भी मांग की गई है और उसे केंद्रीय अधिनियम का अतिक्रमण करने वाला बताया गया है।  

सरकार की ओर से याचिका का किया गया विरोध 
राज्य सरकार की ओर से याचिका का विरोध किया गया और कहा गया कि याचिका में यूपी आपदा प्रबंधन अधिनियम की संवैधानिकता को चुनौती दी गई है है और ऐसे मामलेां में महाधिवक्ता को नोटिस करना अनिवार्य है। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद महाधिवक्ता को नोटिस जारी कर दी और साथ ही राज्य सरकार से जवाबी हलफनामा तलब कर लिया है। यह आदेश जस्टिस अनिल कुमार और जस्टिस सौरभ लवानिया की बेंच ने एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स ऑफ यूपी व एक अन्य की ओर से दाखिल याचिका पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए सुनवायी करते हुए पारित किया है।