सार
बीते दिनों मैनपुरी में नवोदय विद्यालय की छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। उसका शव फांसी के फंदे से लटकता मिला था। शुक्रवार को शिवपाल मृतका के घर पहुंचे थे, जहां उन्होंने पीड़ित परिवार की हर संभव मदद करने की बात कही।
मैनपुरी (Uttar Pradesh). प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के अध्यक्ष शिवपाल सिंह ने यादव परिवार को लेकर उन्होंने कहा कि परिवार में एकता की मेरी तरफ से पूरी गुंजाइश है। लेकिन कुछ लोग षड्यंत्र करके हम लोगों को एक नहीं होने देना चाहते। बता दें, हाल ही में अखिलेश ने सपा विधायक शिवपाल की सदस्यता खत्म करने के लिए एक लेटर जारी किया।
अखिलेश ने कहा वापस आने वालों का स्वागत है
शिवपाल के संकेत देने के बाद अखिलेश ने कहा, हमारे परिवार में परिवारवाद नहीं बल्कि लोकतंत्र है। जो अपनी विचारधारा से चलना चाहे वो वैसे चले और जो वापस आना चाहे हम उसे आंख बंद करके शामिल कर लेंगे। यही नहीं, उन्होंने शिवपाल की पार्टी सदस्यता रद्द करने की याचिका को वापस लेने की भी बात कही। यह बात अखिलेश ने प्रेस कान्फ्रेंस कर कही। इसके अलावा अखिलेश ने बसपा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके दयाराम पाल के समाजवादी पार्टी में शामिल होने की जानकारी की। उन्होंने कहा, यूपी सरकार का काउंटडाउन शुरू हो गया है। डॉ आंबेडकर, लोहिया जी और कांशीराम जी के सपने को पूरा करने के लिए सपा परिवर्तन का काम करेगी।
शिवपाल ने इस मामले में की सीबीआई जांच की मांग
बीते दिनों मैनपुरी में नवोदय विद्यालय की छात्रा की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई थी। उसका शव फांसी के फंदे से लटकता मिला था। शुक्रवार को शिवपाल मृतका के घर पहुंचे थे, जहां उन्होंने पीड़ित परिवार की हर संभव मदद करने की बात कही। साथ ही मामले की सीबीआई जांच की मांग की। पीड़ित परिवार से मिलने के बाद शिवपाल ने मीडिया से बातचीत में कहा, उनकी तरफ से अभी भी परिवार को जोड़ने की संभावना बची है। इसके अलावा उन्होंने प्रदेश की कानून व्यवस्था पर बोलते हुए कहा, एक शख्स (आजम खान) पर केस पर केस दर्ज किए जा रहे हैं, दूसरी तरफ एक छात्रा जिसका उत्पीड़न हुआ उसके दोषी चिन्मयानंद के खिलाफ सरकार ने इतनी देरी क्यों की?
क्या है परिवार में विवाद का मामला?
बता दें, साल 2017 के विधानसभा के दौरान चाचा-भतीजे शिवपाल और अखिलेश के बीच रार आ गई थी। जिसके बाद मुलायम ने दोनों के बीच सुलह की काफी कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी। बताया जाता है कि ये रार सपा के वरिष्ठ नेता प्रो राम गोपाल यादव के चलते बढ़ी। राम गोपाल ने दिल्ली में बैठ पार्टी की कमान अपने हाथों में ले रखी थी, जबकि शिवपाल का कहना था कि उन्होंने लड़ाईयां लड़कर सपा को खड़ा किया। आखिर में नतीजा ये हुआ कि शिवपाल ने सपा से अलग होकर अपनी खुद की पार्टी बना ली, जिसकों नाम दिया गतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया)।