सार
लखनऊ में एलडीए की बाबुओं की कारस्तानी सुनाते हुए एक बेटा भावुक हो गया। 2017 से रजिस्ट्री के लिए भटकने के बाद आखिरकार उसने सवाल कर ही दिया कि क्या पिता के मरने के बाद रजिस्ट्री होगी।
लखनऊ: एलडीए की ओर से जन सामान्य और आवंटियों की समस्याओं के निस्तारण के लिए कमेटी हॉल में प्राधिकरण दिवस/ जनता अदालत का आयोजन किया गया। इस बीच वहां 58 शिकायतें सामने आईं। प्राप्त 58 शिकायतों में से 12 का निस्तारण मौके पर ही कर दिया गया। इस बीच एलडीए वीसी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी की ओर से जानकारी दी गई कि संवेदनशील प्रकरणों के निस्तारण के लिए विशेष कार्याधिकारी खुद मौके पर जाएंगे। वहां जांच के बाद ही उनका निस्तारण किया जाएगा।
बेटे की बात सुनकर भौचक्के हुए अधिकारी
इस बीच यहां एक चौंकाने वाला वाकया भी देखने को मिला। 78 वर्षीय जसवंत सिंह सुयाल अपने बेटे भगवान सिंह सुयाल और मामा के साथ जनता अदालत में पहुंचे। भगवान सिंह वहां पर संपत्ति एवं रजिस्ट्री सेक्शन के अधिकारियों और बाबुओं की कारस्तानी सुनाते हुए भावुक हो गए। उन्होंने एलडीए वीसी डॉ. इंद्रमणि त्रिपाठी से कहा कि क्या साहब! जब पापा मर जाएंगे, तब होगी रजिस्ट्री। फरियादी की यह बात सुनकर उपाध्यक्ष भौचक्के रह गए। भगवान सिंह ने यह बात बाबुओं के रवैये से परेशान होकर कही।
2017 से भटक रहा है पीड़ित
उपाध्यक्ष ने वहां ओएसडी, अपर सचिव और अधिशासी अभियंता की संयुक्त टीम गठित कर तत्काल रजिस्ट्री को लेकर निर्देश दिया। आपको बता दें कि जसवंत हजरतगंज की मलिन बस्ती के निवासी है। उनका 3500 वर्गफीट भूखंड के बीच में छोटा सा घर था। एलडीए ने गोमतीनगर विस्तार योजना के में उस भूखंड और घर का अधिग्रहण कर लिया। उसके एवज में उन्हें 1250 वर्गफीट का भूखंड मिला। उसकी रजिस्ट्री के लिए जसवंत सिंह ने 2017 में 1.62 लाख रुपए जमा करवाए थे। हालांकि वह उसके बाद से लगातार दौड़ रहे हैं। इसी को लेकर वह एक बार फिर से अधिकारियों के पास गुहार लगाने गए थे। फिलहाल मामले में जल्द से जल्द समस्या के निस्तारण का आश्वासन वहां मौजूद अधिकारियों के द्वारा पीड़ित और उसके बेटे को दिया गया है।