सार
अखिलेश और जयंत के सालो पुराने गठबंधन में मनमुटाव की खबरें तेजी से फैल रही हैं। इस मनमुटाव का कारण विधानसभा सीटों को कहा जा रहा है। आरएलडी जहां वेस्ट यूपी में 40 सीटों की हिस्सेदारी चाहतीं हैं वहीं सपा 28-30 सीटों से ज्यादा देने को तैयार नहीं है।
लखनऊ: अपने संगठन को मजबूत करने में लगे दल लगातार गठबंधन करते दिखाई दे रहे हैं। वहीं कुछ के गठबंधन टूट भी गए तो कुछ में आंतरिक मनमुटाव चल रहा है। सपा निरंतर अपना करवां बढ़ाने में लगी है और कई पार्टी के नेता को भी जोड़ने का प्रयास कर रही है। इन्हीं सब के बीच अखिलेश और जयंत के सालो पुराने गठबंधन में मनमुटाव की खबरें तेजी से फैल रही हैं। इस मनमुटाव का कारण विधानसभा सीटों को कहा जा रहा है। आरएलडी जहां वेस्ट यूपी में 40 सीटों की हिस्सेदारी चाहतीं हैं वहीं सपा 28-30 सीटों से ज्यादा देने को तैयार नहीं है।
जानकारी के अनुसार आज जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) और अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) सीटों को लेकर मुलाकात करने वाले हैं। जयंत लगातर समाजवादी पार्टी के मुद्दों पर चुप्पी साधे हुए हैं। लगातार हो रहे आईटी के छापे में समाजवादी पूरी तरह से घिरी हुई है लेकिन अभी तक जयंत का इस पर कोई बयान नहीं आया है। जिसके चलते काफी समय से इनके मनमुटाव की बातें आग की तरह फैल रहीं हैं। दोनों साथ में मंच भी बहुत कम ही साझा कर रहे हैं।
आरएलडी नहीं देना चाहती सपा नेताओं को अपना चुनाव चिह्न
आपको बता दें आरएलडी (RLD) के नेता और कार्यकर्ताओं का कहना है कि वेस्ट यूपी में उनकी पार्टी जाट बहुल क्षेत्रों में चालीस सीटों की मांग कर रही है वहीं समाजवादी (SP) तीस से ज्यादा सीट देने को तैयार नहीं है। जिसको लेकर गठबंधन खतरे में नजर आ रहा है। साथ ही मिली जानकारी के अनुसार, सिर्फ कम सीट ही नहीं सपा के कुछ नेता आरएलडी के चुनाव चिह्न से चुनाव लड़ना चाहते हैं जिसके लिए पार्टी तैयार नहीं है। ये भी दोनों के मनमुटाव का मुख्य कारण है।
आरएलडी के वरिष्ठ नेता और पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव त्रिलोक त्यागी (Trilok Tyagi) ने दोनों पार्टियों के बीच सीट बंटवारे पर किसी बड़े मतभेद की खबरों का खंडन किया। उन्होंने दावा किया कि एक-दो दिन में सीट शेयरिंग का मुद्दा जयंत चौधरी और अखिलेश यादव की मुलाकात में दूर कर लिया जाएगा। त्यागी ने दावा किया कि पार्टियों के बीच गठबंधन कायम है और आरएलडी को सपा के साथ जाने से रोकने के लिए बीजेपी अफवाह फैला रही है। बता दें, कि जयंत और अखिलेश के बीच आखिरी मुलाकात लखनऊ में 11 नंवबर 2011 को हुई थी। तब उन्होंने गठबंधन पर मुहर लगाई थी।
चाचा शिवपाल के साथ भी नहीं कर रहे मंच साझा
आपको बता दें सपा में सिर्फ आरएलडी के साथ ही नहीं प्रसपा रे साथ भी लगातार मतभेद चल रहा है। अभी तक अखिलेश ने एक भी मंच चाच शिवपाल (Shivpak Yadav) के साथ साझा नहीं किया है। इतना ही नहीं बुधवार को ताखा ब्लॉक में हुई शिवपाल की गठबंधन के बाद पहली चुनावी जनसभा (Chunavi Jansabha) करने आए थे, लेकिन यहां भी सपा प्रमुख अखिलेश चाचा शिवपाल के मंच पर नजर नहीं आएंगे। इस कार्यक्रम के आयोजक के मुताबिक, कार्यक्रम में सपा नेताओं को भी न्यौता दिया गया था। ताखा ब्लॉक जो कि शिवपाल यादव के विधानसभा क्षेत्र में और मुलायम सिंह यादव के संसदीय क्षेत्र में आता है। इस लिहाज से यह सपा का मजबूत गढ़ माना जाता है
चाचा-भतीजे का गठबंधन तो हो गया, लेकिन शिवपाल मंच पर अभी भी अकेले