सार

अहिल्याबाई की प्रतिमा के पास ही संत आदि शंकराचार्य की प्रतिमा लगाई गई है। विशाल गलियारे में अब भारत माता की एक पत्थर की मूर्ति भी है, जिस पर नक्काशी की गई है और एक तिरंगा भी लगा है। भारत के मानचित्र को धातु की सतह पर चित्रित किया गया है, जिस पर देश की कला और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाया गया है। 
 

वाराणसी: भारत की प्रतीकात्मक पृष्ठभूमि में पत्थर से बनी भारत माता की प्रतिमा, महारानी अहिल्याबाई होल्कर और संत आदि शंकराचार्य की प्रतिमाओं को काशी विश्वनाथ धाम के विशाल परिसर में स्थापित किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) कुछ घंटे बाद ही महत्वाकांक्षी काशी विश्वनाथ गलियारा परियोजना के पहले चरण का सोमवार को उद्घाटन करेंगे। इससे प्राचीन शहर में पर्यटकों की संख्या बढ़ने की उम्मीद है।

काशी विश्वनाथ  कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor)को दिन रात एक कर मूर्त रूप देने वाले  लगभग 2500 मजदूरों के साथ पीएम के भोजन की व्यवस्था की गई। इस दौरान वह मजदूरों के साथ फोटो भी खिंचवाएंगे। खाने में गुजराती व्यंजन की भी खास व्यवस्था की गई है। पीएम मोदी (PM Modi) ने मजदूरों के साथ पंगत में बैठकर भोजन किया। खाने के मेन्यू उनकी पसंद को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। खाने में उनके लिए गुजराती व्यंजन की व्यावस्था की गई है। बता दें कि प्रधानमंत्री मोदी जब भी काशी के दौरे पर आते हैं तो पांच सितारा होटल छोड़कर बरेका गेस्ट हाउस में ही रुकना पसन्द करते हैं। बरेका गेस्ट हाउस का कमरा नंबर 13 उनके लिए रिज़र्व है। 

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra modi) ने वाराणसी में काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर (Kashi Vishwanath Corridor) के उद्घाटन के दौरान वहाँ मौजूद लोगों को सम्बोधित किया। उन्होंने इस दौरान पीएम मोदी (PM Modi) ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी (CM Yogi) को कर्मयोगी बताया। पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि कुछ लोग ऐसे भी हैं जो बनारस के लोगों पर शक करते थे। कहते थे कि ये कैसे होगा, वो कैसे होगा। बनारस पर आरोप लगाए जा रहे थे। लेकिन उनको पता नहीं था कि काशी तो अविनाशी है। काशी में तो एक ही सरकार है वो सरकार है बाबा की।

गलियारों के प्रांगण में लगाए गए महारानी अहिल्याबाई के बड़े-बड़े पोस्टर

मंदिर की वर्तमान संरचना का निर्माण महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने 1780 के आसपास करवाया था और 19वीं शताब्दी में महाराजा रणजीत सिंह ने इसका सोने का शिखर बनवाया। इस अवसर पर होल्कर की रानी को श्रद्धांजलि देने के लिए गलियारों के प्रांगण में महारानी अहिल्याबाई के बड़े-बड़े पोस्टर लगाए गए हैं। नई गलियारा परियोजना का हिस्सा, बनारस गलियारे के भीतर अहिल्याबाई का एक विशाल भित्ति चित्र है, जबकि घाट से निकलने वाले गलियारे के मार्ग के दाईं ओर, रानी की बैठी हुई मुद्रा में एक प्रतिमा स्थापित की गई है।

गलियारे में लगाई गयी आदियोगी शंकराचार्य और भारत माता की प्रतिमा 

अहिल्याबाई की प्रतिमा के पास ही संत आदि शंकराचार्य की प्रतिमा लगाई गई है। विशाल गलियारे में अब भारत माता की एक पत्थर की मूर्ति भी है, जिस पर नक्काशी की गई है और एक तिरंगा भी लगा है। भारत के मानचित्र को धातु की सतह पर चित्रित किया गया है, जिस पर देश की कला और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाया गया है। 

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