सार
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक कार के मालिक ओमेंद्र ने इसके बारे में एसओ से भी संपर्क किया। हालांकि कहा जा रहा है कि एसओ ने उन्हें कार वापस करने का आश्वासन दिया है। यही नहीं उस पर दबाव बनाया कि वह मामले की शिकायत अधिकारियों से नहीं करें। इधर मामला सामने आने के बाद पुलिस के अधिकारी इस पर कुछ भी बोलने के बजाए पीड़ित को मैनेज करने में जुटे हैं, जिससे विभाग की किरकिरी होने से बचा जा सके।
कानपुर (Uttar Pradesh) । अपराधियों को पकड़ने वाले थानेदार बिठूर कौशलेंद्र प्रताप सिंह ही दो साल से चोरी की कार से घूम रहे थे। यह खुलासा तब हुआ जब वह गाड़ी के सर्विस कराने के लिए ऑथराइज्ड सर्विस सेंटर भेज दिए। दरअसल, सर्विस का फीडबैक लेने के लिए सर्विस सेंटर से कार मालिक को फोन किया गया था। ये कॉल सही कार मालिक के पास किया गया तो वो हैरान हो गया। बता दें कौशलेंद्र प्रताप सिंह गैंगस्टर विकास दूबे के साथ हुए बिकरू एनकाउंटर में घायल हुए थे। इस एनकाउंटर में सीओ सहित 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे।
31 दिसंबर 2018 को कार हुई थी चोरी
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक बिठूर के थानेदार कौशलेंद्र प्रताप सिंह पर आरोप है कि वह बड़ी शान से चोरी की कार चला रहे थे। यह गाडी बर्रा थाना क्षेत्र के बर्रा-2 में रहने वाले ओमेंद्र सोनी की थी। 31 दिसंबर 2018 को रतनलाल नगर से उनकी कार वैगन आर चोरी हो गई थी। इसकी एफआईआर उन्होंने 4 जनवरी को दर्ज कराई थी। गाड़ी की जानकारी होने पर ओमेंद्र सर्विस सेंटर पहुंचे, यहां उन्हें पता चला कि उनकी गाड़ी बिठूर एसओ ने सर्विस कराने भेजी थी।
ऐसे खुला राज
बिठूर के थानेदार ने अपनी वैगन आर कार की सर्विस कराने के लिए ऑथराइज्ड सर्विस सेंटर भेज दिए थे। जहां से सर्विस सेंटर ने कार की सर्विस कर थानेदार को वापस कर दी। कुछ दिनों बाद गाड़ी की सर्विस का फीडबैक लेने के लिए सर्विस सेंटर से कार मालिक को फोन किया गया। यह फोन कार की चेसिस नम्बर के आधार पर उसके ओरिजनल मालिक को किया गया। मालिक दो साल बाद कार की सर्विस के फीडबैक की कॉल सुनकर चौंक गया, तब खुलासा हुआ कि चोरी की गई कार सर्विस के लिए सर्विस सेंटर भेजी गई थी।
थानेदार ने दिया गाड़ी वापस करने का भरोसा
मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक कार के मालिक ओमेंद्र ने इसके बारे में एसओ से भी संपर्क किया। हालांकि कहा जा रहा है कि एसओ ने उन्हें कार वापस करने का आश्वासन दिया है। यही नहीं उस पर दबाव बनाया कि वह मामले की शिकायत अधिकारियों से नहीं करें। इधर मामला सामने आने के बाद पुलिस के अधिकारी इस पर कुछ भी बोलने के बजाए पीड़ित को मैनेज करने में जुटे हैं, जिससे विभाग की किरकिरी होने से बचा जा सके।