सार
छठे चरण में कई नेता ऐसे हैं जो कई सालों से अपने क्षेत्र से जीतते रहे हैं। इतना ही नहीं 2017 में बीजेपी की आंधी में भी वे अपना गढ़ बचाने में कामयाब रहे। माता प्रसाद पांडे जिन्हें इटवा से सतीश चंद्र द्विवेदी ने हराया था, उनकी भी प्रतिष्ठा दांव पर है. इसके अलावा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी छोड़कर सपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य इस बार पडरौना की जगह फाजिलनगर से मैदान में हैं।
लखनऊ: विधानसभा चुनाव (UP Assembly Elections 2022) अब अपने आखिरी पड़ाव की तरफ बढ़ चला है। छठे चरण (Sixth Phase) के लिए चुनाव शोर मंगलवार शाम 6 बजे थम जाएगा और 3 मार्च को वोटिंग होगी। छठे चरण में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath), सपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य (Swami Prasad Maurya) समेत कई दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर है। पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ रहे योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सदर सीट से मैदान में हैं। 31 सालों से यह सीट बीजेपी का मजबूत गढ़ रहा है। इस सीट पर योगी आदित्यनाथ को नए चेहरे चुनौती दे रहे हैं। सपा ने पूर्व बीजेपी उपाध्यक्ष स्वर्गीय उपेंद्र दत्त शुक्ला की पत्नी सुभावती शुक्ल को मैदान में उतारा है। आजाद समाज पार्टी से चंद्रशेखर जाद मैदान में हैं। वहीं बसपा ने ख्वाजा शम्सुद्दीन तो कांग्रेस ने चेतना पांडे को मैदान में उतारा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के खिलाफ खड़े सभी उम्मीदवार पहली बार चुनाव लड़ रहे हैं।
छठे चरण में कई नेता ऐसे हैं जो कई सालों से अपने क्षेत्र से जीतते रहे हैं। इतना ही नहीं 2017 में बीजेपी की आंधी में भी वे अपना गढ़ बचाने में कामयाब रहे। माता प्रसाद पांडे जिन्हें इटवा से सतीश चंद्र द्विवेदी ने हराया था, उनकी भी प्रतिष्ठा दांव पर है. इसके अलावा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी छोड़कर सपा में शामिल हुए स्वामी प्रसाद मौर्य इस बार पडरौना की जगह फाजिलनगर से मैदान में हैं। इसके पहले वह दो बार 2012 व 2017 में पडरौना सीट से विधायक चुने गए। अगर फाजिलनगर सीट की बात करें तो यह सीट 2012 और 2017 में बीजेपी का कब्जा रहा है। इस बार स्वामी प्रसाद मौर्य के मैदान में उतरने से यह सीट हाई प्रोफाइल हो गई है। साथ ही स्वामी प्रसाद की प्रतिष्ठा भी दांव पर है कि वह यह सीट सपा की झोली में डालें।
ये दिग्गज भी मैदान में
सोहरतगढ़ की इटावा विधानसभा सीट भी सपा के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी है। इस सीट से सपा के माता प्रसाद पांडेय वर्ष 2002 से 2012 तक लगातार तीन बार जीते, लेकिन वर्ष 2017 में वह हार गए। माता प्रसाद पांडेय इस बार फिर सपा से और सतीश चंद्र द्विवेदी बीजेपी से मैदान में हैं। इसके अलावा अंबेडकरनगर की तीन सीटें भी काफी महत्वपूर्ण है। कटेहरी सीट बसपा का गढ़ माना जाता है। पिछली बार इस सीट से लालजी वर्मा जीते थे, लेकिन वह इस बार सपा के टिकट पर मैदान में हैं। इसके अलावा जलालपुर सीट से राकेश पांडे, अकबरपुर सीट से रामचल राजभर की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है।
बलिया में इन नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर
बलिया जिले में भी इस बार दिलचस्प लड़ाई देखने को मिल रही है। रसड़ा सीट पर बसपा के उमाशंकर सिंह जीत की हैट्रिक लगाने के फ़िराक में हैं। तो वहीं बांसडीह सीट से रामगोविंद चौधरी लगातार दो बार से चुनाव जीतते आ रहे हैं। इस बार उनके सामने भी सीट बचाने की चुनौती है।