सार

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत को इस बात की आशंका है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में मतगणना के दिन गड़बड़ी हो सकती है इसलिए टिकैत  ने जनता से कहा कि वह मतगणना केंद्रों पर एक दिन पहले ही पहुंचे। टिकैट की बातों से ऐसा लग रहा है कि वह लोकतांत्रिक व्यवस्था को अराजक बनाना चाहते हैं।

दिव्या गौरव
लखनऊ:
विधानसभा चुनाव (Vidhansabha Chunav 2022) की मतगणना के दिन गड़बड़ी होने की आशंका जताते हुए भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) (Bhartiya Kisan Union (BKU)) के प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने लोगों से निगरानी रखने के लिए एक दिन पहले मतगणना केंद्रों पर पहुंचने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि देश को एक बड़े आंदोलन की आवश्यकता है जिससे बदलाव जरूर आएगा। टिकैट के बयान से एक बार फिर चर्चा शुरू हो गई है कि क्या राकेश टिकैत लोकतांत्रिक व्यवस्था को अराजक बनाना चाहते हैं।

राजनीतिक विश्लेषक योगेन्द्र त्रिपाठी ने कहा, 'राकेश टिकैत की भाषा हमेशा से अराजक रही है। लेकिन इस बार उन्होंने जो बात कही है, उससे देश की जनता के मन में भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था को लेकर अविश्वास पैदा होगा। यह काफी घातक हो सकता है।' त्रिपाठी ने कहा कि किसी भी सिस्टम को सुचारू रूप से चलाने के लिए जनता का उसपर भरोसा होना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा, 'राकेश टिकैत के अधिकांश फॉलोवर्स अंधभक्त जैसे हैं। राकेश ने जो कहा है उससे लोगों में अविश्वास जगेगा, जो कि ठीक नहीं है।'

... तो बन जाएगी जन विद्रोह जैसी स्थिति
त्रिपाठी ने कहा कि मतदान और मतगणना किसी सरकार के नियंत्रण में नहीं होता। यह पूरी व्यवस्था एक स्वतंत्र संस्था चुनाव आयोग के अधीन होती है। ऐसे में अगर लोगों के मन में यह बैठा दिया गया कि स्वतंत्र संस्थाएं भी सरकारी या दलगत नियंत्रण में हैं तो जन विद्रोह जैसी स्थिति बन जाएगी। आपको बता दें कि बागपत के बड़ौत पहुंचे टिकैत ने कहा था, 'जिला पंचायत (चुनाव) में जो किया गया था, उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। मतगणना शुरू होने से एक दिन पहले मतगणना केंद्रों पर पहुंचें और मतगणना स्थलों पर ट्रैक्टर के साथ डेरा डालें।'

पहले भी बड़े आरोप लगाते रहे हैं टिकैत
टिकैत ने लोगों से नौ मार्च को अपने कपड़े और बिस्तर के साथ पहुंचने के लिए कहा और दावा किया कि 10 मार्च (मतगणना के दिन) को जनता को वहां जाने की अनुमति भी नहीं मिलेगी। गौरतलब है कि पिछले साल राज्य में हुए जिला पंचायत चुनाव में विपक्षी दलों ने बड़े पैमाने पर अनियमितताओं का आरोप लगाया था।

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