सार

डीएम के अनुसार रकम को समानरूप से कामगारों के खातों में बराबर-बराबर भेजा जाएगा। इस लिहाज से 5400 मजदूरों के खाते में करीब 390 रुपए भेजे जाएंगे। कामगारों के खातों का विवरण पता लगाने के लिए 50 से अधिक अध्यापकों की टीम को लगाया गया है। 

सहारनपुर: कोरोना महामारी में हरियाणा, पंजाब, उत्तराखंड और हिमाचल से पलायन करने वाले यूपी और बिहार के मजदूरों की मुश्किल में साइकिल सारथी बनीं थी। उन 5400 साइकिलों को जिला प्रशासन ने 21 लाख 20 हजार में नीलाम कर दिया था। और सारा पैसा सरकार के खातों मे भेजने की बात हुई थी। लेकिन खबर प्रकासित होने के बाद साइकिलों को नीलाम की रकम अब सरकारी खातों मे नहीं भेजी जाएगी। इसको लेकर कामगारों को फोन कर उनके खातों का विवरण जुटा रही है। सभी के खातों की जानकारी मिलते ही रकम को ट्रांसफर कर दिया जाएगा।

मजदूरों के खाते में भेजा जाएगा 390 रुपए
डीएम के अनुसार रकम को समानरूप से कामगारों के खातों में बराबर-बराबर भेजा जाएगा। इस लिहाज से 5400 मजदूरों के खाते में करीब 390 रुपए भेजे जाएंगे। कामगारों के खातों का विवरण पता लगाने के लिए 50 से अधिक अध्यापकों की टीम को लगाया गया है। 

पैसा देने में ये दिक्कतें आ रही हैं सामने
कामगारों को फोन कर रही टीम के सदस्यों को कई तरह की असुविधाओं का भी सामना करना पड़ रहा है, कई फोन नंबरों पर काल नहीं जा रही है, तो कई नंबर गलत बताए जा रहे हैं, वहीं दशरथ जैसे कई कामगार ऐसे भी हैं, जिन्होंने साइकिल के पैसे लेने से मना कर दिया है। 

उन्होंने कहा कि कोरोना काल में राधास्वामी सत्संग भवन में वह कई दिन रहे, यहां निशुल्क भेाजन खाया, उपचार प्राप्त किया, सरकार ने घर तक भिजवाया, अब वह साइकिल की नीलामी से मिले पैसों को नहीं ले सकते। अन्य फोन कॉल्स में संतोष प्रसाद को फोन करने पर कोई जवाब नहीं मिला, जियालाल का नंबर गलत निकला, संदीप कुमार का मोबाइल स्विच आफ मिला, वोचंदा ने कहा कल खाता नंबर देंगे। 

ऐसे ही ओमप्रकाश ने कहा उनके पास खाता नहीं है, मुन्ना यादव के मोबाइल की इनकमिंग सेवा बंद मिली। सज्जाद के नंबर पर कहा गया यह गलत नंबर है। संतोष ने कोई जवाब ही नहीं दिया।

दरअसल कोरोनाकाल में छोड़ने के बाद 5400 साइकिलों पर कोई कामगार मालिकाना हक जताने सहारनपुर नहीं पहुंचा। जिला प्रशासन ने इन सभी साइकिलों को 21 लाख रुपए में नीलाम कर दिया। दैनिक जागरण ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया। इसमें बताया गया कि कामगारों की साइकिलों को 21 लाख रुपए में नीलाम कर दिया गया। इस धनराशि को सरकारी खाते में जमा कराया जाएगा। 

खबर के प्रकासित होने के बाद जागी सरकार
खबर के प्रकाशित होने के बाद शासन-प्रशासन ने मामले का संज्ञान लिया तथा रकम को सरकारी खाते में जमा कराने के बजाए कामगारों के खातों में भिजवाने का फैसला लिया। डीएम अखिलेश सिंह ने बताया कि कामगारों के खातों में धनराशि भेजने के लिए टीम को लगाया गया है। कलेक्ट्रेट के मीटिंग रूम में टीम के सदस्य कामगारों को फोन कर उनके खातों की जानकारी जुटा रहे हैं।

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