सार

पाकिस्तान के वजीराबाद निवासी मोहम्मद वारिस उर्फ रजा 2000 मैं 48 साल की उम्र में शामली जिले से गिरफ्तार किया गया था। वारिस के 40 साल बेटे ने बताया कि वह इंडिया अपने पुराने मित्र से मिलने आए थे। 

शामली: 2019 में आतंकवाद के मामले में गिरफ्तरा हुआ एक शख्य अभी भी यूपी की जेल में सजा भुगत रहा है। दरअसल आतंकवाद के मामले में गिरफ्तार इस शख्स को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2019 में ही रिहा कर दिया था लेकिन दो देशों के बीच उलझे एक कानूनी दांवपेच की वजह से अभी तक  पाकिस्तानी नागरिक यूपी की जेल में बंद है।

अपने दोस्त से मिलने आया था पाकिस्तानी
जानकारी के मुताबिक पाकिस्तान के वजीराबाद निवासी मोहम्मद वारिस उर्फ रजा 2000 मैं 48 साल की उम्र में शामली जिले से गिरफ्तार किया गया था। वारिस के 40 साल बेटे ने बताया कि वह इंडिया अपने पुराने मित्र से मिलने आए थे। 

पुलिस ने दोस्त के साथ किया था गिरफ्तार
पुलिस ने उनके पास से हथगोले और बंदूकें बरामद कर गिरफ्तार कर लिया था। मोहम्मद वारिस के बेटे ने बताया कि वह अपने दोस्त अशरफ के घर रुके थे। पुलिस ने वहीं से उनको चार लोगों के साथ गिरफ्तार किया था। बाद में जांच कर रही यूपी पुलिस ने वारिस का कनेक्शन आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के साथ पाया था और उन पर आईपीसी 121 धारा में मामला दर्ज कर लिया था। 

यह था मामला
वारिस पर विदेशी एक्ट विस्फोटक पदार्थ है और पासपोर्ट एक्ट के तहत भी केस दर्ज किया गया था। इसके बाद मुकदमा चलने लगा। कोर्ट में वारिस ने  बताया था कि  उसे फंसाया गया है। उसपर लगे सारे आरोप गलत है। उनके पास से कोई हथियार नहीं मिले थे और वह एक वैध पासपोर्ट पर भारत आए थे लेकिन एक बहस के बाद यूपी पुलिस ने उसे फाड़ दिया था। उन्होंने अपना यह बयान कभी नहीं बदला था। 

साल 2017 में मुजफ्फरनगर ट्रायल कोर्ट में अशफाक नन्हें और वारिस को धारा 121 के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई गई। हालांकि, वारिस को पासपोर्ट एक्ट और विस्फोटक पदार्थ ण्क्ट के आरोपों से बरी कर दिया गया था। मामले के अन्य आरोपी भी बरी कर दिए गए थे।

आगरा में गर्लफ्रेंड के चक्कर में पति ने गर्भवती पत्नी को उतारा मौत के घाट, छह महीने पहले ही हुई थी शादी

आगरा पेपर लीक मामले में पुलिस की जांच में सामने आया बड़ा सच, इस तरह से वायरल हुआ था प्रश्नपत्र

जल्द ही काबू में आ जाएंगे बालू-मौरंग और गिट्टी के दाम, सीएम ने कहा- 5 वर्षों में आई पारदर्शिता