सार

विधानसभा चुनाव 2012 में डेरापुर सीट खत्म कर के सिकंदरा विधानसभा बनाई गई थी। 2012 के विधानसभा चुनाव में सिकंदरा सीट से बीएसपी के इंद्रपाल सिंह ने जीत दर्ज की थी। इंद्रपाल ने मौजूदा अकबरपुर सांसद देवेंद्र सिंह भोले को हराया था। वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में सिकंदर सीट पर बीजेपी के मथुरा पाल ने एसपी के पूर्व सांसद राकेश सचान की पत्नी सीमा सचान को हराया था। लेकिन मथुरा पाल का असमय निधन हो जाने के कारण इस सीट पर उपचुनाव हुआ था। जिसमें मथुरा पाल के बेटे अजीत पाल ने जीत दर्ज की थी। मथुरा पाल को प्रदेश सरकार में मंत्री भी बनाया गया था।

सुमित शर्मा, कानपुर

यूपी विधानसभा चुनाव में कई ऐसी विधानसभा सीटें हैं, जहां पर जातीय समीकरण जीत-हार का फैसला करते हैं। प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री अजीत पाल को घेरने के लिए एसपी, बीएसपी और कांग्रेस ने जातीय समीकरण का दांव चला है। कानपुर देहात की सिकंदरा सीट पर चुनाव ब्राह्मण बनाम ओबीसी होने जा रहा है। लेकिन विपक्ष के लिए ब्राह्मण वोट बैंक को संगठित करने की चुनौती भी है। इस सीट पर बीजेपी ने एक बार फिर अजीत पाल पर भरोसा जताया है। वहीं एसपी और बीएसपी ने ब्राह्मण प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है। कांग्रेस ने ओबीसी प्रत्याशी को उतारा है।

विधानसभा चुनाव 2012 में डेरापुर सीट खत्म कर के सिकंदरा विधानसभा बनाई गई थी। 2012 के विधानसभा चुनाव में सिकंदरा सीट से बीएसपी के इंद्रपाल सिंह ने जीत दर्ज की थी। इंद्रपाल ने मौजूदा अकबरपुर सांसद देवेंद्र सिंह भोले को हराया था। वहीं 2017 के विधानसभा चुनाव में सिकंदर सीट पर बीजेपी के मथुरा पाल ने एसपी के पूर्व सांसद राकेश सचान की पत्नी सीमा सचान को हराया था। लेकिन मथुरा पाल का असमय निधन हो जाने के कारण इस सीट पर उपचुनाव हुआ था। जिसमें मथुरा पाल के बेटे अजीत पाल ने जीत दर्ज की थी। मथुरा पाल को प्रदेश सरकार में मंत्री भी बनाया गया था।

एसपी-बीएसपी प्रत्याशी औरैया जिले के रहने वाले हैं
बीएसपी सुप्रीमों मायावती ने सिकंदरा सीट से लालजी शुक्ला पर भरोसा जताया है। लालजी शुक्ला पूर्व विधायक रामजी शुक्ला के भाई हैं। लालजी शुक्ला पुलिस विभाग में नौकरी में करते थे। राजनीतिक पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने की वजह से उन्होने पुलिस विभाग की नौकरी से रिजाईंन दे दिया था। काफी समय तक अपने भाई की राजनीतिक कार्यो को संभालते रहे। इसके बाद लालजी शुक्ला खुद चेयरमैन बन गए। उन्होने अपने भाई से राजनीति का हुनर सीखा है।

पार्टी के नेताओं में असंतोष
वहीं एसपी ने प्रभाकर पांडेय को सिकंदरा सीट से प्रत्याशी बनाया है। प्रभाकर पांडेय भी औरैया जिले के रहने वाले हैं। प्रभाकर पांडेय सिकंदरा सीट से एक बार निर्दलीय और 2017 में कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं। लेकिन प्रभाकर पांडेय को प्रत्याशी बनाए जाने पर पार्टी के कई नेताओं में असंतोष की स्थिति बनी हुई है। प्रभाकर पांडेय के सामने अपनी पार्टी के नेताओं के बीच तालमेल बैठाने की भी जिम्मेदारी है।

कांग्रेस ने जिलाध्यक्ष नरेश कटियार को बनाया प्रत्याशी
सिकंदरा विधानसभा सीट कुर्मी बाहुल क्षेत्र है। कुर्मी वोट बैंक बीजेपी का माना जाता है। कांग्रेस ने नरेश कटियार को प्रत्याशी बनाकर कुर्मी वोट बैंक में सेंध लगाने का काम किया है। इसके साथ ही नरेश कटियार बीते कई वर्षों से क्षेत्र में मेहनत कर रहे थे।

सिकंदरा विधानसभा सीट पर जातिगत आकड़े
सिकंदरा विधानसभा सीट से बीजेपी के अजीत पाल विधायक हैं। सिकंदरा सीट पर अनुसूचितजाति के वोटरों की संख्या 65,000 है। ब्राह्मण वोटरों की संख्या 45,000 है, क्षत्रीय वोटरों की संख्या 28,000 है, कुर्मी वोटरों की संख्या 40,000 है, पाल वोटरों की संख्या संख्या 25,000 हैं, मुस्लिम 22,000 और अन्य जाति के वोटरों की संख्या 25,000 है।

साइकिल का बटन दबाने का मतलब है गुंडा माफिया को जन्म देना: केशव मौर्य