सार
जानकारों की मानें तो वर्चुअल तरह से जानता से जुड़ने का सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को ही मिलने वाला है। अगर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को रैली या सभाएँ करने का और समय मिल जाता तो शाहद बीजपी के लिए बड़ा खतरा बन सकता था। बीजेपी को इस बात का कहीं न कहीं पहले से ही अंदाजा थी कि कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से इस तरह की स्थितियां बन सकती हैं। इसलिए बीते कुछ दिनों मे बीजेपी ने जनता तक पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। लेकिन कहीं न कहीं अखिलेश इस मामले में बीजेपी से पिछड़ते नजर आ रहे हैं।
लखनऊ: यूपी में कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते चुनाव आयोग (Election Commission) ने सभी राजनीतिक दलों की मंशा पर पानी फेरते हुए रैलियों और सभाओं पर रोक लगा दी है। ऐसे में कई पार्टियों के प्लान पर पानी फिर गया है। हालांकि बीजेपी (BJP) ने लगभग हर जिले में पहुंच कर अपनी उपस्थिती पहले ही दर्ज करा दी है। बीजेपी के सभी बड़े चेहरों ने यूपी की जनता को संबोधित करते हुए खूब सभाएं की है। वहीं इस मामले में सभी कुछ पीछे नजर आ रही है
रैली बंद होने से बीजेपी ने कर लिया अपना काम
जानकारों की मानें तो वर्चुअल तरह से जानता से जुड़ने का सबसे ज्यादा फायदा बीजेपी को ही मिलने वाला है। अगर अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) को रैली या सभाएँ करने का और समय मिल जाता तो शाहद बीजपी के लिए बड़ा खतरा बन सकता था। बीजेपी को इस बात का कहीं न कहीं पहले से ही अंदाजा थी कि कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से इस तरह की स्थितियां बन सकती हैं। इसलिए बीते कुछ दिनों मे बीजेपी ने जनता तक पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। लेकिन कहीं न कहीं अखिलेश इस मामले में बीजेपी से पिछड़ते नजर आ रहे हैं।
प्रतिबंध लगने से पहले ही भाजपा और सपा ने लगभग सभी जिलों तक पहुंचने की कोशिश की थी। भाजपा ने पूरे प्रदेश का दौरा कर लिया है। जबकि सपा ने 80 फीसदी से ज्यादा प्रदेश घूम लिया है। कांग्रेस और बसपा ने भी अलग-अलग इलाकों में अपनी रैलियां तो कर ली है, लेकिन प्रदेश का बड़ा हिस्सा अभी भी भाजपा और सपा के लिहाज से बाकी ही है।
पीएम मोदी ने किए कुल 17 दौरे
प्रतिबंधों का असर भारतीय जनता पार्टी पर फिलहाल बिल्कुल होता हुआ नहीं दिख रहा है, क्योंकि पार्टी ने उत्तर प्रदेश के ज्यादातर इलाकों में न सिर्फ बड़ी-बड़ी रैलियां की हैं, बल्कि बड़े नेताओं की भी एंट्री हर मंडल और क्षेत्र में हो चुकी है। प्रधानमंत्री मोदी खुद उत्तर प्रदेश में चुनावी माहौल में अब तक 17 दौरे कर चुके हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने जुलाई के दूसरे सप्ताह में बनारस से कार्यक्रमों के उद्घाटन और शिलान्यास के जरिए लोगों से मुखातिब होकर 2022 और 2024 का रोडमैप को रखना शुरू किया था। इस दौरान पीएम मोदी अलीगढ़, बनारस, कुशीनगर, सिद्धार्थनगर, झांसी, सुल्तानपुर, लखनऊ, ग्रेटर नोएडा, शाहजहांपुर, बलरामपुर, कानपुर, मेरठ और प्रयागराज तक विभिन्न प्रोजेक्ट के शुभारंभ और शिलान्यास के दौरान सीधे पहुंच चुके हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के अलावा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी 12 बार उत्तर प्रदेश का दौरा कर चुके हैं। उन्होंने इस दौरान उन्होंने कई कार्यक्रमों रैलियों और जनसभाओं और बड़ी भीड़ को संबोधित कर उत्तर प्रदेश के चुनावी माहौल को आगे बढ़ाया है। नड्डा उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के बूथ अध्यक्षों के सम्मेलन से लेकर बस्ती बदायूं गोरखपुर मेरठ एटा अंबेडकरनगर और बनारस के कार्यक्रमों में शिरकत कर चुके हैं।
सीएम योगी ने हर महीने औसतन 20 जिलों का किया दौरा
सीएम योगी ने पिछले पांच माह में औसतन हर माह 20 जिले का दौरा किया है और विभिन्न कार्यक्रमों में शामिल हुए हैं। यह स्थिति तब है, जब वह लखनऊ में रोजाना सुबह उच्चाधिकारियों के साथ बैठक के अलावा अन्य शासकीय कार्यों और बैठकों आदि में व्यस्त रहते हैं। दिसंबर माह में ही वह 23 से अधिक जिलों में पहुंचे हैं, जहां उन्होंने योजनाओं का लोकार्पण या शिलान्यास किया है। ऐसे ही नवंबर में उन्होंने 17, अक्तूबर में 13, सितंबर में 32 और अगस्त में 15 जिलों का दौरा किया है। इस साल जनवरी में सीएम योगी पहली जनवरी को रामपुर, दो जनवरी को मेरठ और तीन जनवरी को लखनऊ, अमेठी और लखनऊ का दौरा किया है।
अमित शाह 12 बार आए यूपी
देश के गृह मंत्री अमित शाह जी उत्तर प्रदेश में 12 बार विभिन्न कार्यक्रमों में जनता से सीधे मुखातिब हो चुके हैं। शाह पूर्वांचल पश्चिम अवध और बुंदेलखंड में अब तक अलग-अलग कार्यक्रमों और आयोजनों में लोगों से सीधे संपर्क साथ चुके हैं। इसके अलावा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ प्रदेश के हर जिले में अमूमन दो से पांच बार पहुंच चुके हैं। भाजपा शासित सभी राज्यों के मुख्यमंत्री भी उत्तर प्रदेश में किसी न किसी कार्यक्रम के मार्फत प्रदेश की जनता से न सिर्फ मुखातिब हुए हैं बल्कि लोगों से संवाद किया है।
80 फीसदी से ज्यादा जिलों को सपा ने किया कवर
भाजपा के बाद सपा प्रदेश की ऐसी पार्टी है जो उत्तर प्रदेश की 80 फीसदी से ज्यादा जिलों तक पहुंच बना चुकी है। समाजवादी पार्टी के मुखिया और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अक्तूबर के बाद सबसे ज्यादा सक्रिय होकर प्रदेश के अलग-अलग जिलों और इलाकों में पहुंचे। सपा मुखिया के निर्देश पर पार्टी के कार्यकर्ताओं ने जिला स्तर शहर स्तर ब्लॉक और ग्रामीण स्तर पर न सिर्फ सक्रियता बढ़ाई बल्कि छोटे-छोटे दलों को भी जोड़ कर समाजवादी पार्टी ने अपना कारवां ज्यादा से ज्यादा इलाकों तक पहुंचाने की कोशिश की।
इस दौरान अखिलेश यादव ने ओमप्रकाश राजभर के साथ पूर्वांचल के बड़े इलाके को कवर किया। इस दौरान अखिलेश यादव और राजभर ने मऊ में एक बड़ी जनसभा की। बहुजन समाज पार्टी के बड़े नेता रहे लाल जी वर्मा के साथ अंबेडकरनगर में अखिलेश यादव ने रैलियां की। समाजवादी पार्टी के प्रदेश राष्ट्रीय प्रवक्ता और पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेंद्र चौधरी कहते हैं कि उनके नेता और कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में लगातार सक्रिय हैं। समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव अपने विजय रथ के साथ प्रदेश के ज्यादातर सभी हिस्सों को कवर कर चुके हैं। इसके अलावा वह बुंदेलखंड, अवध, ब्रज और पश्चिम में भी अपने चुनावी रथ के साथ साथ बड़ी रैलियों और जन सम्मेलन में भागीदारी निभा चुके हैं।
कांग्रेस के लिए प्रियंका ने संभाला मोर्चा
प्रियंका गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस शुरुआती दौर से ही आंदोलनों और प्रदर्शनों के माध्यम से अलग-अलग इलाकों में दस्तक देती रही है। लखीमपुर, हाथरस, सोनभद्र, गोरखपुर और कानपुर मैं प्रियंका गांधी के अगुवाई में पार्टी ने आंदोलनों की लकीर खींची और प्रदेश के इन इलाकों के साथ साथ ज्यादातर इलाकों में पहुंचने की कोशिश की। कांग्रेस ने अपने कई कार्यक्रमों और कई अभियानों के माध्यम से प्रदेश के कार्यकर्ताओं को न सिर्फ सक्रिय किया, बल्कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को जोड़ने के लिए अहम अभियान भी चलाए। इन अभियानों की कड़ी में जहां प्रतिज्ञा रैलियां और शक्ति संवाद किए गए।
वहीं, प्रियंका गांधी ने कोरोना के मरीजों के लिए दी जाने वाली किट के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर कार्यकर्ताओं को जोड़ने का अभियान भी चलाया। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के बड़े नेताओं के नाम पर प्रियंका गांधी सबसे ज्यादा सक्रिय रहीं। प्रियंका गांधी समेत छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और अन्य बड़े नेताओं ने बनारस में आयोजित किसान रैली से जनता से सीधे संवाद भी किया। प्रियंका गांधी ने चित्रकूट से शक्ति संवाद शुरू किया। यह शक्ति संवाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश और रायबरेली अमेठी समेत कई अन्य जिलों में भी हुए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता के मुताबिक "लड़की हू लड़ सकती हूं" जैसे बड़े अभियान के माध्यम से उत्तर प्रदेश के पश्चिम, मध्य, अवध मंडल को कवर किया है।
मायावती नजर नहीं आईं
उत्तर प्रदेश की चार बार मुख्यमंत्री रही बसपा सुप्रीमो मायावती फिलहाल उत्तर प्रदेश में दो कार्यक्रमों को छोड़ कर किसी भी बड़ी जनसभा रैली और कार्यक्रमों में शामिल नहीं हो सकी हैं। राजनैतिक विश्लेषकों के मुताबिक चुनाव आयोग के प्रतिबंध बहुजन समाज पार्टी के लिए निश्चित तौर पर ज्यादा मेहनत करने की ओर इशारा कर रहे हैं। हालांकि, बसपा के रणनीतिकारों के मुताबिक पार्टी में अहम जिम्मेदारी निभा रहे हैं सतीशचंद्र मिश्रा ने प्रदेश के ज्यादातर इलाकों को अलग-अलग कार्यक्रमों के माध्यम से कवर कर लिया है।