सार

महंत नरेंद्र गिरी की मौत के बाद साधु संतों की सबसे बड़ी संस्था अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष का पद खाली था। महंत रविंद्र पुरी को मान्यता प्राप्त 13 अखाड़ों में से 7 ने अध्यक्ष चुना। वे साल 2024 तक पद पर बने रहेंगे।

प्रयागराज : महंत रविंद्र पुरी (ravindra puri) को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का नया अध्यक्ष चुन लिया गया है। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (prayagraj) में सोमवार को दारागंज निर्मल अखाड़ा में हुई बैठक में महंत रविंद्र पुरी को मान्यता प्राप्त 13 अखाड़ों में से 7 ने अध्यक्ष चुना। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष रहे महंत नरेंद्र गिरी (narendra giri) की मौत के बाद साधु संतों की सबसे बड़ी संस्था अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष का पद रिक्त चल रहा था। इसके लिए काफी दिनों से जोड़ तोड़ चल रही थी और अखाड़ों को अपने पक्ष में करने की जोर आजमाइश की जा रही थी।

कौन हैं रविंद्र पुरी
महंत रविंद्र पुरी हरिद्वार (Haridwar) के कनखल स्थित दक्षेश्वर महादेव मंदिर के पीठाधीश्वर व महानिर्वाणी अखाड़े के सचिव हैं। वह 35 साल पहले संन्यास लेकर महानिर्वाणी अखाड़े में शामिल हुए थे। रविंद्र पुरी 1998 के कुंभ मेले के बाद अखाड़े की कार्यकारिणी में शामिल हुए। उन्हें 2007 में अखाड़े का सचिव बनाया गया। हरिद्वार में संतों के एक धड़े ने परिषद का चुनाव कराकर नई कार्यकारिणी का एलान कर दिया है। जबकि परिषद महामंत्री महंत हरि गिरी ने पहले ही प्रयागराज में 25 अक्टूबर को बैठक का ऐलान किया था।

साल 2024 तक पद पर रहेंगे
अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष पांच साल के लिए चुना जाता है। यह मध्यावधि चुनाव था और महंत रवींद्र पुरी का अध्यक्ष पद पर कार्यकाल साल 2024 तक का होगा। उन्होंने कहा कि सभी साधु संतों ने महंत रवींद्र पुरी के नेतृत्व में भरोसा जताते हुए सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के लिए तन, मन, धन से सहयोग करने का संकल्प लिया।

क्यों चुने गए परिषद अध्यक्ष?
हरिद्वार में हुई बैठक में 7 अखाड़े एक साथ आए थे। इस वक्त 13 अखाड़ों में 7 एक ओर हैं, जबकि 6 अखाड़े एक साथ हैं। बताया जा रहा है कि सत्ता में रसूख रखने वाले निर्मल अखाड़े के संत और नेता लगातार प्रयागराज में होने वाली बैठक का समर्थन कर रहे हैं। अखाड़े की परंपरा के अनुसार जिस अखाड़े के अध्यक्ष का निधन होता है और वह परिषद में पदाधिकारी होता है, तो उस अखाड़े से जो नाम दिया जाता है उसे ही  कार्यकाल पूरा होने तक नया अध्यक्ष बनाया जाता है। इसलिए निरंजनी अखाड़े के सचिव महंत रविंद्र पुरी का नाम सबसे ऊपर था।

इन अखाड़ों का समर्थन, इनका विरोध
पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी, आवाहन अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा, नया उदासीन अखाड़ा, पंचायती अखाड़ा निर्मल, पंचायती अखाड़ा आनंद, निर्मोही अनी अखाड़ा, जूना अखाड़ा रविंद्र गिरी को अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुने जाने में शामिल रहे। निर्मोही अनी अखाड़े ने रविंद्र पुरी के नाम लिखित समर्थन भेजा, उसका कोई संत बैठक में शामिल नहीं रहा।

 25 नवंबर को अगली बैठक
सोमवार को हुई बैठक में महंत रवींद्र पुरी को अध्यक्ष चुने जाने के साथ ही 8 अन्य प्रस्ताव भी पारित किए गए। इन प्रस्तावों में सभी सनातन धर्म के प्रचार -प्रसार व विस्तार के साथ ही उसकी रक्षा से जुड़े हुए थे। बैठक के बाद परिषद के महामंत्री महंत हरी गिरि ने बताया कि, अखाड़ा परिषद की अगली बैठक 25 नवंबर को होगी। उनके मुताबिक महंत रवींद्र पुरी का चुनाव परंपरा के मुताबिक किया गया है। उन्होंने यह भी दावा किया अखाड़ों के आपसी मतभेद को जल्द ही दूर कर लिया जाएगा और सभी 13 अखाड़े एक बार फिर से एकजुट होंगे। बैठक की शुरुआत में सबसे पहले अखाड़ा परिषद के दिवंगत अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि को श्रद्धांजलि दी गई। बैठक में मौजूद सभी संतों ने उनके चित्र पर फूल चढ़ाएं और 2 मिनट का मौन रखकर उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी।

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