सार
विधायक दिवाकर की कुछ दिन पहले तबीयत बिगड़ी थी, जिसके बाद उन्हें गंभीर अवस्था मे मेरठ मेडिकल के कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया था। फेफड़ों तक संक्रमण पहुंचने से उनकी हालत में सुधार नहीं हो सका और गुरुवार रात 8 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली।
लखनऊ . उत्तर प्रदेश में कोरना इस कदर कहर बरपा रहा है कि रोज हजारों लोगो संक्रमित हो रहें तो सैकंडों की सांसे थम रही हैं। आम आदमी से लेकर डॉक्टर को सही समय पर इलाज नहीं मिलने दम तोड़ रहे हैं। इसी बीच इसी बीच एक और दुखद खबर सामने आई है, जहां औरैया जिले से भाजपा के सदर विधायक रमेश दिवाकर की इलाज के दौरान कोरोना से मौत हो गई।
फेफड़ों ने काम करना कर दिया था बंद
दरअसल, विधायक दिवाकर की कुछ दिन पहले तबीयत बिगड़ी थी, जिसके बाद उन्हें गंभीर अवस्था मे मेरठ मेडिकल के कोविड वार्ड में भर्ती कराया गया था। फेफड़ों तक संक्रमण पहुंचने से उनकी हालत में सुधार नहीं हो सका और गुरुवार रात 8 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। विधायक के निधन की खबर से क्षेत्र में शोक की लहर दौड़ गई। भारतीय जनता पार्टी विधायक के असामयिक निधन पर शोक जताया है।
शिक्षक की नौकरी छोड़ राजनीति में रखा था कदम
बता दें कि 56 वर्षीय रमेश दिवाकर ने अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत करने से पहले वह आरएसएस से जुड़े हुए थे। साल 2004 से सक्रिय राजनीति में आए। जिसके बाद 2016 में उनको औरैया जिले का अध्यक्ष बनाया गया। फिर 2017 में बीजेपी ने उन्हें पहली बार टिकट दिया जिसके बाद वे विधायक बने। राजीनीति में आने से पहले दिवाकर औरैया शहर के चौधरी विशंभर सिंह भारती विद्यालय में बतौर व्यायाम शिक्षक थे।
वेंटिलेटर के इंतजार में डॉक्टर ने ही तोड़ा दम
प्रयागराज के फेमस सर्जन डॉक्टर जेके मिश्रा (85) की भी कोरोना से जंग हार गए। उनकी गुरूवार रात को मौत हो गई। बता दें कि डॉक्टर मिश्रा यहां के स्वरूपरानी अस्पताल में करीब 50 साल तक सेवाएं दीं, लेकिन जब उनको कोरोना हुआ तो उनके ही अस्पताल में वेंटिलेटर तक नसीब नहीं हुआ। आलम यह हुआ कि उन्हें जूनियर डॉक्टरों के हवाले छोड़ दिया गया। आखिर में उनको सही इलाज नहीं मिलने कारण नहीं बच सके।
यूपी में रोज रिकॉर्ड तोड़ रहा कोरोना
बता दें कि उत्तर प्रदेश में रोजाना कोरोना के मामले रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं। पिछले 24 घंटे के दौरान 34379 मरीज मिले हैं, जबकि 195 लोगों की मौत हो गई। वहीं ऑक्सीजन नहीं मिलन के चक्कर में परिजन दर-दर भटक रहे हैं। फिर भी उनको कोई उम्मीद की किरण नहीं दिखाई दे रही है। राजधानी लखनऊ का सबसे बुरा है, यहां पर रोज 6 हजार से संक्रमित मरीज मिल रहे हैं।
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