सार

उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में सोमवार की रात एक जर्जर कमरे की छत गिरने के उसके अंदर सो रही तीन नाबालिग बच्चियों की मौत हो गई। इनमें से एक की उम्र सिर्फ दो महीने थी। 

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के बागपत जिले में सोमवार की रात एक जर्जर कमरे की छत गिरने के उसके अंदर सो रही तीन नाबालिग बच्चियों की मौत हो गई। इनमें से एक की उम्र सिर्फ दो महीने थी। दो लड़कियां सगी बहनें थी। घटना बनौली थाना क्षेत्र में मेरठ-बागपत हाईवे पर स्थित सिद्धार्थ ईंट भट्ठे पर घटी। भट्ठे पर मजदूर परिवारों के रहने के लिए बने कमरे जर्जर हैं। इनमें से एक कमरे की छत अचानक भरभराकर गिर गई थी। 

हादसे में मारे गए बच्चियों की पहचान 15 साल की शहराना, 12 साल की सानिया और दो माह की माहिरा के रूप में हुई है। हादसे के बाद परिजनों और दूसरे कमरों में रहने वालों ने तीनों बच्चियों को मलबे के नीचे से निकाला था, लेकिन तब तक उनकी मौत हो गई थी। पुलिस ने तीनों शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।

कमरा था जर्जर, शिकायत के बाद भी नहीं दिया ध्यान
मृतक बच्चियों के परिजन आरिफ का कहना है कि कमरा जर्जर होने की शिकायत की गई थी, लेकिन ईंट भट्ठे के मालिक द्वारा ध्यान नहीं दिया गया, जिससे हादसा हो गया। बालैनी थाना प्रभारी कुशलेंद्र सिंह ने कहा कि मामले की जांच की जा रही है। बड़ौत कोतवाली क्षेत्र के जलालपुर गांव निवासी आरिफ ने बताया कि उनके पिता यामीन का सात साल पहले निधन हो गया था। वह आठ भाई-बहन हैं। दो भाई-बहनों का निकाह हो चुका है। मां संजीदा के साथ एक माह पहले भट्ठे पर ईंट पथेर का काम करने आए थे। भट्ठे पर अभी काम शुरू नहीं हुआ है। 

आरिफ ने कहा कि सोमवार शाम साढ़े सात बजे भाभी नजराना झुग्गी के बाहर खाना बना रही थी। झुग्गी के अंदर दो बहन 15 वर्षीय शहराना, 12 वर्षीय सानिया और दो माह की भतीजी माहिरा थी। तभी अचानक झुग्गी की कच्ची छत भरभराकर गिर गई। मलबे में तीनों दब गई। चीख-पुकार सुनकर अन्य मजदूर दौड़ कर आ गए। उन्होंने मलबे से तीनों को निकाला, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी।

 

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