सार

यूपी के जिले वाराणसी में रविवार को लावारिस शव का पुलिस ने बिना शिनाख्त और बिना पोस्टमार्टम कराए दफन कर दिया। पुलिस के द्वारा इस कारनामे के बाद पूरे इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है। साथ ही पुलिस के कामकाज के ढर्रे पर सवाल उठ रहे है।

वाराणसी: अक्सर पुलिस अपनी मनमानी करने से बाज नहीं आती है। इसका ताजा उदाहरण बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में देखने को मिला है। रविवार को वाराणसी कमिश्नरेट में हाल ही में शामिल हुए ग्रामीण क्षेत्र की लोहता थाने की पुलिस के कामकाज के तरीके को देखने से मिल रहा है। दरअसल यहां पुलिस ने वरुणा नदी में उतराते शव का न पोस्टमार्टम कराया और नाही शिनाख्त कराई। कफन में लिपटे शव की शिनाख्त और पोस्टमार्टम की जरूरत पुलिस ने समझी ही नहीं बल्कि उसे गड्ढा खुदवा कर दफना दिया। इसी वजह से लोहता थाने की पुलिस के द्वारा किया गया काम चर्चा का विषय बना हुआ है।

नदी किनारे गड्ढा खुदवाकर पुलिस ने दफन किया शव
रविवार को लोहता और बड़ागांव थाने के बॉर्डर पर लोहारपुर में रिंग रोड के पास वरुणा नदी में कफन में लिपटा एक शव उतराता हुआ दिखा। इसकी सूचना गांव वालों ने पुलिस को दी। ग्रामीणों की सूचना पर बड़ागांव और लोहता थाने की पुलिस घटनास्थल पर पहुंची। जिसके बाद बड़ागांव थाने की पुलिस ने बताया कि यह घटना लोहता थाने की है। वहीं लोहता थाने की पुलिस ने शव को बाहर निकलवाया। उसके बाद कोइराजपुर बॉर्डर के पास नदी के किनारे ही गड्ढा खुदवा कर दफन कर दिया। पुलिस के द्वारा इस हरकत के बाद स्थानीय लोगों का कहना है कि पुलिस कम से कम यह तो देख लेती कि शव किसी स्त्री का था या पुरुष का था और किस हालत में था। 

लावारिस शव का पोस्टमार्टम और शिनाख्त है जरूरी
आपको बता दें कि लावारिस शव मिलने पर प्रावधान है कि पुलिस 72 घंटे तक उसकी शिनाख्त कराने का प्रयास करेगी। अगर इन घंटों में शिनाख्त नहीं हो पाती है तो पुलिस उस शव का पोस्टमार्टम कराएगी। इतना ही नहीं भविष्य में जरूरत पड़ने पर डीएनए टेस्ट के लिए शव के बाल और दात जैसे हिस्से सुरक्षित रखते हुए उसकी अंत्येष्टि अपनी निगरानी में कराएगी। पर लोहता थाने की पुलिस ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। इस मामले को लेकर लोहता थाना प्रभारी राजेश त्रिपाठी का कहना है कि नदी में उतराया हुआ शव दाह-संस्कार के बाद प्रवाहित किया गया था। उसके बाद उसे नदी से बाहर निकलवा कर गड्ढा खुदवा कर दफन करा दिया गया है।

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