सार
प्रियंका गांधी के निजी सचिव की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है कि यूपी सरकार ने सभी बसों को दस बजे लखनऊ पहुंचने के लिए बोला था। लेकिन, खाली बसों को लखनऊ बुलाना राजनीति से प्रेरित है। यह संसाधनों की बर्बादी है, जबकि हजारों लोग नोएडा-गाजियाबाद में फंसे हैं।
लखनऊ (Uttar Pradesh)। कोरोना वायरस की वजह से देशभर में लॉकडाउन है। इसके चलते यूपी के लाखों प्रवासी कामगार दूसरे राज्य में फंसे हुए हैं। ऐसे में कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी ने योगी आदित्यनाथ सरकार के सामने अन्य राज्यों में फंसे प्रवासी कामगारों एवं श्रमिकों के लिए 1000 बसों का प्रस्ताव रखा था, जिसे सरकार ने स्वीकार कर लिया है। अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने प्रियंका गांधी वाड्रा को पत्र भेजा है, जिसमें कहा है कि प्रवासियों के लिए 1000 बसों के उनके प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया है। वहीं, प्रियंका की ओर से जवाब में कहा गया है कि खाली बसों को लखनऊ बुलाना राजनीति से प्रेरित है। यह संसाधनों की बर्बादी है, जबकि हजारों लोग नोएडा-गाजियाबाद में फंसे हैं।
पत्र का दिया जवाब
प्रियंका गांधी के निजी सचिव की ओर से भेजे गए पत्र में कहा गया है की यूपी सरकार ने सभी बसों को दस बजे लखनऊ पहुंचने के लिए बोला था। जवाब में कहा गया है कि खाली बसों को लखनऊ बुलाना राजनीति से प्रेरित है। यह संसाधनों की बर्बादी है, जबकि हजारों लोग नोएडा-गाजियाबाद में फंसे हैं। 'ऐसी स्थिति में जब हजारों मजदूर सड़कों पर पैदल चल रहे हैं और यूपी के बॉर्डर पर हजारों की भीड़ पंजीकरण केंद्रों पर उमड़ी हुई है, तब 1000 खाली बसों को लखनऊ भेजना न सिर्फ समय और संशाधनों की बर्बादी है बल्कि हद दर्ज की अमानवीयता है और यह एक घोर गरीब विरोधी मानसिकता की उपज है। आपकी सरकार की यह मांग पूरी तरह से राजनीति से प्ररित लगती है।
ट्विटर पर प्रियंका ने दिया धन्यवाद
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की ओर से एक हजार बस चलाने की पेशकश पर राजनीति और तेज हो गई है। कांग्रेस की पेशकश को योगी सरकार ने स्वीकार कर लिया। जिसपर प्रियंका ने शाम पांच बजे ट्वीट कर योगी सरकार को धन्यवाद कहा। प्रियंका गांधी ने आरोप लगाया था कि रविवार को मथुरा जिले में राजस्थान बॉर्डर पर कांग्रेस की ओर से 500 बसें खड़ी कर दी गई थीं। यहां यूपी कांग्रेस के सह-प्रभारी जुबेर बेग और पूर्व विधायक प्रदीप माथुर बसों के साथ मौजूद थे। सभी ने मथुरा पुलिस और शासन से इन बसों को यूपी में प्रवासी श्रमिकों के लिए चलाने की अनुमति मांगी थी। लेकिन, प्रशासन ने उन्हें प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी थी।
प्रियंका ने ट्वीट कर सरकार को घेरा था
प्रियंका गांधी ने ट्वीट कर कहा था कि हजारों श्रमिक, प्रवासी भाई-बहन बिना खाए पीये, पैदल दुनिया भर की मुसीबतों को उठाते हुए अपने घरों की ओर चल रहे हैं। यूपी के हर बॉर्डर पर बहुत मजदूर मौजूद हैं। धूप में पैदल चल रहे हैं, आज वो घंटों खड़े रखे जा रहे हैं। उन्हें अंदर आने नहीं दिया जा रहा। उनके पास पिछले 50 दिनों से कोई काम नहीं है। जीविका ठप पड़ी है। हम जो भी योजनाएं बना रहे हैं, उनमें उनके लिए कुछ सोचा ही नहीं जा रहा। मजदूरों को घर भिजवाने के लिए कोरी घोषणाएं और ओछी राजनीति से काम नहीं चलेगा। ज्यादा ट्रेनें चलाइए, बसें चलाइए। हमने 1000 बसों की परमिशन मांगी है हमें सेवा करने दीजिए।
सीएम कार्यालय ने किए थे प्रियंका से चार सवाल
-जब आपके पास 1000 बसें थीं तो राजस्थान और महाराष्ट्र से ट्रकों में भरकर हमारे साथियों को उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड व बंगाल क्यों भेज रहे हैं?
- औरैया में हुई दर्दनाक सड़क दुर्घटना से पूरा देश आहत है। एक ट्रक पंजाब से और दूसरा राजस्थान से आ रहा था। क्या कांग्रेस और प्रियंका गांधी इस घटना की जिम्मेदारी लेंगी? क्या हमारे साथियों से माफी मांगेंगी?
-प्रियंका गांधी जी कहती हैं कि उनके पास 1000 बसें हैं। यह और बात है कि अब तक इन बसों की सूची तक उपलब्ध नहीं कराई गई, न ही हमारे साथियों की। बसों और हमारे साथियों की सूची उपलब्ध करा दी जाए, जिससे उनके कार्य ट्विटर नहीं धरातल पर दिखें।
-देशभर में जितनी भी श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चल रही है उनमें से आधी से ज्यादा ट्रेनें उत्तर प्रदेश ही आईं है। अगर प्रियंका वाड्रा जी को हमारी इतनी ही चिंता है तो वो हमारे बाकी साथियों को भी ट्रेनों से ही सुरक्षित भेजने का इंतजाम कांग्रेस शासित राज्यों से क्यों नहीं करा रहीं?