राइट टू वाटर एक्ट: पानी को दूषित किया तो 1 लाख का जुर्माना और होगी 18 महीने की जेल

मध्य प्रदेश सरकार ने पानी का अधिकार कानून का मसौदा तैयार कर लिया है। इसमें आम आदमी को कानून के क्रियान्वयन में भागीदार बनाया जा रहा है। इस एक्ट में स्टेट वाटर मैनेजमेंट अथॉरिटी को पानी उपलब्ध कराने के सारे अधिकार दिए गए हैं। राइट टू वाटर से जुड़े तमाम वित्तीय अधिकार भी इसी संस्था के पास होंगे। स्वमा के चेयरमैन मुख्यमंत्री और वाइस चेयरमैन मुख्य सचिव होंगे। इसके अलावा मंत्री, प्रमुख सचिवों समेत प्रोफेसर और जल विशेषज्ञ शामिल होंगे। क्या है राइट टू वाटर एक्ट बता रहे हैं एक्सपर्ट अभिषेक खरे। 
 

/ Updated: Feb 18 2020, 12:29 PM IST

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वीडियो डेस्क। मध्य प्रदेश सरकार ने पानी का अधिकार कानून का मसौदा तैयार कर लिया है। इसमें आम आदमी को कानून के क्रियान्वयन में भागीदार बनाया जा रहा है। इस एक्ट में स्टेट वाटर मैनेजमेंट अथॉरिटी को पानी उपलब्ध कराने के सारे अधिकार दिए गए हैं। राइट टू वाटर से जुड़े तमाम वित्तीय अधिकार भी इसी संस्था के पास होंगे। स्वमा के चेयरमैन मुख्यमंत्री और वाइस चेयरमैन मुख्य सचिव होंगे। इसके अलावा मंत्री, प्रमुख सचिवों समेत प्रोफेसर और जल विशेषज्ञ शामिल होंगे। क्या है राइट टू वाटर एक्ट बता रहे हैं एक्सपर्ट अभिषेक खरे। 

राइट टू वाटर
 गंदा पानी सप्लाई किया तो नगर निगम पर भी लगाया जा सकेगा जुर्माना।
 घरों में वाटर हार्वेस्टिंग यूनिट नहीं लगाने वालों पर 5 हजार रुपए पेनल्टी।
शहरों में हर नगरीय निकाय में और ग्रामीण क्षेत्र में हर ब्लॉक में होगा एक जल शिकायत निवारण अधिकारी।
केस दर्ज होते ही होगी गिरफ्तारी
खास बात यह है कि प्रस्तावित कानून के ड्राफ्ट में जलस्रोत को दूषित करने को संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है। यानी ऐसा करने वाले व्यक्ति की गिरफ्तारी होगी और बिना कोर्ट से जमानत के उसकी रिहाई नहीं हो सकेगी। प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट स्तर का कोई भी न्यायाधिकारी इस तरह के मामले में स्वत: संज्ञान लेकर भी पानी को दूषित करने वाले व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दे सकेगा।