
सिर्फ 2 घंटे की नींद...ऐसी होती है NSG कमांडो की ट्रेनिंग
वीडियो डेस्क। देश के सबसे जांबाज सिपाही कहे जाने वाले ब्लैक कैट कमांडो(Commando) आखिर बनते कैसे हैं? ये सवाल सबके जहन में हमेशा रहता है क्योंकि जब भी देश के एलीट एनएसजी कमांडो(NSG Commando) आतंक के ख़िलाफ़ ऑपरेशन चलाते हैं तो उस वक्त सबका भरोसा इन पर होता है और लोग यही सोचते हैं कि आख़िर किस भट्टी से तपकर ये कमांडो निकलते हैं। तो आज आपको बताते हैं कि एनएसजी का एक कमांडो कैसे तैयार होता है।
वीडियो डेस्क। देश के सबसे जांबाज सिपाही कहे जाने वाले ब्लैक कैट कमांडो(Commando) आखिर बनते कैसे हैं? ये सवाल सबके जहन में हमेशा रहता है क्योंकि जब भी देश के एलीट एनएसजी कमांडो(NSG Commando) आतंक के ख़िलाफ़ ऑपरेशन चलाते हैं तो उस वक्त सबका भरोसा इन पर होता है और लोग यही सोचते हैं कि आख़िर किस भट्टी से तपकर ये कमांडो निकलते हैं। तो आज आपको बताते हैं कि एनएसजी का एक कमांडो कैसे तैयार होता है।
कैसे होती है ट्रेंनिग
कमांडोज की ट्रेंनिग(traning) बहुत ही कठिन होती है। कमांडोज फोर्स के लिए कई चरणों में चुनाव होता है। सबसे पहले जिन रंगरूटों का कमांडोज के लिए चयन होता है, वह अपनी-अपनी फोर्सेज के सर्वश्रेष्ठ सैनिक होते हैं। इसके बाद भी उनका चयन कई चरणों से गुजर कर होता है। अंत में ये सैनिक ट्रेनिंग के लिए मानेसर एनएसजी के ट्रेनिंग सेन्टर पहुंचते हैं। ये देश के सबसे कीमती और जांबाज सैनिक होते हैं लेकिन जरूरी नहीं है कि ट्रेनिंग सेंटर पहुंचने के बाद भी कोई सैनिक अंतिम रूप से कमांडो बन ही जाए।
मनोवैज्ञानिक टेस्ट से गुजरते हैं जाबांज
90 दिन की कठिन ट्रेनिंग के पहले भी एक हफ्ते की ऐसी ट्रेनिंग होती है जिसमें 15-20 फीसदी सैनिक अंतिम दौड़ तक पहुंचने में रह जाते हैं। लेकिन इसके बाद जो सैनिक बचते हैं और अगर उन्होंने 90 दिन की ट्रेनिंग कुशलता से पूरी कर ली तो फिर वो देश के सबसे ताकतवर कमांडो होता है। ये कमांडो सबसे आखिर में मनोवैज्ञानिक टेस्ट (Psychological test) से गुजरते हैं जिसे पास करना अनिवार्य है।
सिर्फ 5 साल तक ही दे पाते हैं सेवाएं
एनएसजी का गठन भारत की विभिन्न फोर्सेज से विशिष्ट जवानों को छांटकर किया जाता है। एनएसजी में 53 प्रतिशत कमांडो सेना से आते हैं जबकि 47 प्रतिशत कमांडो 4 पैरामिलिट्री फोर्सेज- सीआरपीएफ(crpf), आईटीबीपी(itbp), आरएएफ(Raf) और बीएसएफ(Bsf) से आते हैं। इन कमांडोज की अधिकतम कार्य सेवा पांच साल तक होती है। पांच साल भी सिर्फ 15 से 20 प्रतिशत को ही रखा जाता है, बाकी कंमाडोज के तीन साल के पूरे होते ही उन्हें उनकी मूल फोर्सेज में वापस भेज दिया जाता है।