नन की आत्मकथा में चौंकाने वाला खुलासा, चर्च में यौनशोषण करते हैं पादरी
केरल की एक नन ने अपनी आत्मकथा में चर्च में पादरियों द्वारा ननों का यौन शोषण किए जाने का गंभीर आरोप लगाया है।
वीडियो डेस्क. सिस्टर लूसी कलप्परा ने आत्मकथा में लिखा है कि उन्हें कम से कम चार बार यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। सिस्टर लूसी कलप्परा रोमन कैथोलिक चर्च के अंतर्गत फ्रांसिस्कन क्लेरिस्ट कॉन्ग्रेगेशन की सदस्य थीं।
सिस्टर लूसी ने जालंधर के पूर्व बिशप फ्रेंको मुलक्कल द्वारा कथित तौर पर यौन उत्पीड़न की शिकार नन का समर्थन किया था। वह केरल के वायनाड में मनन्थावैडी सूबा के साथ थीं, लेकिन बाद में उन्हें निष्कासित कर दिया गया था। उन्होंने मलयालम में 'कार्तविनेते नामथिल' नाम से आत्मकथा लिखी है, जिसका अर्थ है 'ईश्वर के नाम पर'। यह आत्मकथा अगले सप्ताह एक प्रमुख प्रकाशन गृह द्वारा प्रकाशित होने वाली है।
इस आत्मकथा के कुछ अंश हाल ही में समकालिका मलयालम वारिका में प्रकाशित हुए हैं। इसमें चर्च में एक नन के रूप में उनके जीवन का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया गया है। पुस्तक में पादरियों और ननों के बीच सहमति से बने यौन संबंधों और पादरियों व ननों के बीच समलैंगिक संबंधों का भी जिक्र किया गया है। इसके साथ ही पदारियों और बिशपों द्वारा पद का दुरुपयोग करने की बात भी कही गई है।
फ्रेंको मुलक्कल के खिलाफ बलात्कार के मामले में मुकदमे की शुरुआत 30 नवंबर को कोट्टायम की एक अदालत में हुई थी। अदालत की कार्यवाही के दौरान भी फ्रेंको मुस्कुरा रहा था। हालांकि, व्हिसलब्लोअर और जो लोग चर्च के गलत कामों के खिलाफ बोल रहे हैं, उन्हें सिस्टर लूसी कलप्परा की आत्मकथा के प्रकाशन से बल मिलेगा।