बेहद स्पेशल है केरल में होने वाली हाथियों की ये पूजा, रामायण माह के दौरान दिखा सबसे खास नजारा

वीडियो डेस्क। केरल में सदियों पुरानी परंपरा 'रामायण माह' का आयोजन शुरू हुआ और लोगों ने मंदिरों और घरों में महाकाव्य के श्लोकों का जाप किया। आपको बता दें कि केरल में प्रचलित मलयालम पंचांग के अंतिम महीने 'कर्किडकम' को रामायण माह के रूप में मनाया जाता है। इसके बाद 'चिंगम' की शुरूआत होती है जिसमें मलयाली लोगों के सबसे प्रसिद्ध त्योहार 'ओणम' आता है। 

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वीडियो डेस्क। केरल में सदियों पुरानी परंपरा 'रामायण माह' का आयोजन शुरू हुआ और लोगों ने मंदिरों और घरों में महाकाव्य के श्लोकों का जाप किया। आपको बता दें कि केरल में प्रचलित मलयालम पंचांग के अंतिम महीने 'कर्किडकम' को रामायण माह के रूप में मनाया जाता है। इसके बाद 'चिंगम' की शुरूआत होती है जिसमें मलयाली लोगों के सबसे प्रसिद्ध त्योहार 'ओणम' आता है। परंपरा के अनुसार, घरों के बुजुर्ग 30 दिनों तक अपने घरों में जलते हुए दीपों के सामने 'अध्यात्म रामायण' के श्लोकों का जाप करते हैं। इस अवसर चावल और औषधीय जड़ी बूटियों को मिलाकर एक विशेष मसालेदार व्यंजन 'कारकीदका कांजी' तैयार किया जाता है, जिसे लोगों को परोसा जाता है। कर्किडकम के दौरान त्रिशूर के वडक्कुमनाथन मंदिर में हाथियों के लिए आयुर्वेदिक परंपरा के अनुसार तैयार किया गया भोजन उन्हें परोसा गया। इस उत्सव को 'अनायुतु' कहते हैं। हर साल लगभग 85 हाथियों को यहां लाया जाता है लेकिन इस बार कोरोना की वजह से सिर्फ 15 हाथी ही इस उत्सव में शामिल हुए थे।

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