हर साल श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर क्यों बनती है भ्रम की स्थिति, ज्योतिषाचार्य ने बताई वजह

 जन्माष्टमी का पर्व हर सल भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह अष्टमी तिथ 11 अगस्त को सुबह 09:06 बजे शुरू हो रही है और 12 अगस्त को सुबह 11:16 बजे समाप्त हो रही है। इस दिन श्रीकृष्ण को बाल-गोपाल रूप में पूजा जाता है।

/ Updated: Aug 11 2020, 04:56 PM IST

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वीडियो डेस्क।  जन्माष्टमी का पर्व हर सल भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह अष्टमी तिथ 11 अगस्त को सुबह 09:06 बजे शुरू हो रही है और 12 अगस्त को सुबह 11:16 बजे समाप्त हो रही है। इस दिन श्रीकृष्ण को बाल-गोपाल रूप में पूजा जाता है। कृष्ण भक्तों को इस दिन का इंताजर पूरे वर्ष रहता है। खासतौर से मथुरा और द्वारिका नगरी में इस पर्व को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। लेकिन इस बार लोग बहुत असमंजस में हैं जनमाष्टमी 11 तारीख को मनाई जाए या 12 तारीख को। ऐसे में हमने मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में ज्योतिष मठ संस्थान के संचालक पंडित विनोद गौतम से इस बारे में जाना। उनका कहना है कि वैदिक या हिन्दू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष श्रीकृष्ण जन्माष्टमी भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में ही मनाई जाती है। कई बार ऐसा होता है कि ज्योतिष गणना में तिथि और नक्षत्र के समय में अंतर पाया जाता है। यही कारण होता है कि तारीखों का मतभेद नजर आता है। पिछले वर्ष भी ऐसा ही हुआ था। वहीं, इस वर्ष भी यही संयोग बना हुआ है। इसी की वजह से 11 तथा 12 अगस्त को कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी।