हिंदू-मुस्लिम युवकों की दोस्ती बनी मिसाल, मौत के बाद भी नहीं छोड़ा साथ

 एक मामला यूपी के बस्ती से सामने आया है, जहां एक युवक ने अपने घर पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। लेकिन, इस मुश्किल वक्त में उसके मुस्लिम दोस्त ने उसका आखिरी समय तक साथ नहीं छोड़ा। 

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बस्ती(Uttar Pradesh). देशभर में प्रवासी मजदूरों का पलायन लगातार जारी है। वह भूख से तड़पते हुए चिलचिलाती धूप व गर्मी में हजारों मील सफर तय कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला यूपी के बस्ती से सामने आया है, जहां एक युवक ने अपने घर पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। लेकिन, इस मुश्किल वक्त में उसके मुस्लिम दोस्त ने उसका आखिरी समय तक साथ नहीं छोड़ा। बस्ती के लालगंज थाना क्षेत्र के देउरी गांव के रहने वाला अमृत रंजन गुजरात में रहकर कपड़े की फैक्ट्री में नौकरी करता था। उसी के गांव का रहने वाला याकूब भी उसके साथ कंपनी में काम करता था। दोनों में अच्छी दोस्ती भी थी। लॉकडाउन के कारण जब फैक्ट्री बंद हुई तो अन्य मजदूरों के साथ दोनों ट्रक से घर की ओर निकल पड़े। लेकिन मध्यप्रदेश पहुंचते अमृत की तबियत बिगड़ने लगी .उसे तेज बुखार हो गया। ट्रक में मौजूद अन्य लोगों ने कोरोना होने का शक करते हुए उसे मध्य प्रदेश के शिवपुरी इलाके में ट्रक से उतार दिया। और आगे जाने लगे लेकिन दोस्त की हालत देखकर याकूब भी ट्रक से उतर गया। अन्य लोगों ने उसे उसके पास न जाने को कहा लेकिन याकूब ने बिना किसी परवाह के दोस्त के पास गया और ट्रक के अन्य लोगों को जाने को कहा। याकूब कुछ स्थानीय लोगों की मदद से अपने दोस्त अमृत को लेकर शिवपुरी जिलाअस्पताल गया जहां उसका कोरोना का टेस्ट हुई। लेकिन कुछ देर इलाज के बाद अमृत की मौत हो गई।अब याकूब अमृत के शव को जिला प्रशासन की मदद से लेकर गांव आया। तब तक अमृत और याकूब की कोरोना रिपोर्ट भी आ गई थी दोनों की रिपोर्ट निगेटिव थी। कोरोना दहशत में दोस्ती के इस असली फर्ज का निर्वहन करने वाला याकूब खान एक मिसाल बन गया जो कोरोना की दहशत में अपनों का शव तक लेने से इंकार कर रहे हैं।

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