अयोध्या राम दरबार में फूल बेचने वाला यह परिवार मुफलिसी में जी रहा, भूखे मरने तक की आ गई नौबत

कहते हैं मुफलिसी एक ऐसा अभिशाप है जिससे इंसान का हौसला, साहस और अपेक्षाएं दम तोड़ देती हैं।  लेकिन मुश्किल हालातों में भी डटकर मुकाबला करना ही बहादुरी कहलाती है। वहीं जब संकट हरने का कम स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के भरोसे हो तो क्या कहने. जी हां हम बात करने जा रहे हैं अयोध्या के एक ऐसे परिवार की जिसकी जीविका ही प्रभु के चरणों में अर्पित होने वाले फूल हैं। अयोध्या के नयागंज में रहने वाले धर्मेन्द्र सैनी का परिवार इन दिनों काफी मुसीबतों में है। 
धर्मेन्द्र अयोध्या के हनुमान गढ़ी के गेट पर फूलों की दुकान लगाते थे, इसी दुकान से उनके परिवार का गुजर-बसर होता था। धर्मेन्द्र के दो बेटियां और 1 बेटा है। बेटी का सपना पुलिस अफसर बनने का है। वही कोरोना महामारी के चलते धर्मेन्द्र की फूलों की दुकान बंद है. सावन का महीना लगते ही अयोध्या के कई मंदिरों में झूले पड़े हैं। इनकी सजावट और आदि के लिए कभी कभार किसी मंदिर से धर्मेन्द्र को फूलों का ओर्डर मिल जाता है उसी से किसी तरह परिवार का खर्च चल रहा है। लेकिन बच्चों की फीस आदि के लिए लगातार स्कूल से फोन आ रहे हैं, उसके लिए धर्मेन्द्र के पास पैसे नहीं हैं. पीएम मोदी 5 अगस्त को राम मंदिर का भूमि पूजा करने आ रहे हैं, ऐसे में धर्मेन्द्र की मांग है कि राम मंदिर परिसर में फूल बेचने वालों के लिए दुकानें भी बनवाई जाएं तो उनका भी परिवार चलता रहेगा। 

/ Updated: Aug 03 2020, 11:55 AM IST

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वीडियो डेस्क। कहते हैं मुफलिसी एक ऐसा अभिशाप है जिससे इंसान का हौसला, साहस और अपेक्षाएं दम तोड़ देती हैं।  लेकिन मुश्किल हालातों में भी डटकर मुकाबला करना ही बहादुरी कहलाती है। वहीं जब संकट हरने का कम स्वयं मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के भरोसे हो तो क्या कहने. जी हां हम बात करने जा रहे हैं अयोध्या के एक ऐसे परिवार की जिसकी जीविका ही प्रभु के चरणों में अर्पित होने वाले फूल हैं। अयोध्या के नयागंज में रहने वाले धर्मेन्द्र सैनी का परिवार इन दिनों काफी मुसीबतों में है। धर्मेन्द्र अयोध्या के हनुमान गढ़ी के गेट पर फूलों की दुकान लगाते थे, इसी दुकान से उनके परिवार का गुजर-बसर होता था। धर्मेन्द्र के दो बेटियां और 1 बेटा है। बेटी का सपना पुलिस अफसर बनने का है। वही कोरोना महामारी के चलते धर्मेन्द्र की फूलों की दुकान बंद है. सावन का महीना लगते ही अयोध्या के कई मंदिरों में झूले पड़े हैं। इनकी सजावट और आदि के लिए कभी कभार किसी मंदिर से धर्मेन्द्र को फूलों का ओर्डर मिल जाता है उसी से किसी तरह परिवार का खर्च चल रहा है। लेकिन बच्चों की फीस आदि के लिए लगातार स्कूल से फोन आ रहे हैं, उसके लिए धर्मेन्द्र के पास पैसे नहीं हैं. पीएम मोदी 5 अगस्त को राम मंदिर का भूमि पूजा करने आ रहे हैं, ऐसे में धर्मेन्द्र की मांग है कि राम मंदिर परिसर में फूल बेचने वालों के लिए दुकानें भी बनवाई जाएं तो उनका भी परिवार चलता रहेगा।