सन्यासी के भेष में देख पिता ने कहा- चल यहां से...जानिए योगी आदित्यनाथ के पिता से जुड़ा ये किस्सा

यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट का 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। किडनी और लीवर की समस्या के बाद उन्हें पिछले महीने दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। सोमवार सुबह 10:44 पर उन्होंने अंतिम सांस ली। उन्हें एयर एम्बुलेंस से उनके पैतृक निवास उत्तराखंड ले जाय जाएगा। जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। 

/ Updated: Apr 20 2020, 04:33 PM IST

Share this Video
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Email

वीडियो डेस्क। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह बिष्ट का 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। किडनी और लीवर की समस्या के बाद उन्हें पिछले महीने दिल्ली के एम्स में भर्ती कराया गया था। सोमवार सुबह 10:44 पर उन्होंने अंतिम सांस ली। उन्हें एयर एम्बुलेंस से उनके पैतृक निवास उत्तराखंड ले जाय जाएगा। जहां उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। बताया जा रहा है कि रविवार को उनकी अचानक तबीयत खराब हो गई। इसके बाद से उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था। लेकिन जिंदगी से जूझते हुए आनंद सिंह बिष्ट ने अपने प्राण त्याग दिए। 
आज हम आपको सीएम योगी और उनके पिता के बारे में एक कहानी बताते हैं। ये कहानी तब की है जब योगी आदित्यनाथ के पिता को पता चला था कि उनका बेटा सन्यासी हो गया है। बता दें कि ये कहानी योगी आदित्यनाथ की जीवन यात्रा पर लिखी किताब योद्धा योगी से ली गई है, जिसे प्रवीण कुमार ने लिखा है। सीएम योगी आदित्यनाथ के पिता आनंद सिंह उत्तराखंड के यमकेश्वर के पंचूर गांव में रहते हैं। वे उत्तराखंड में फॉरेस्ट रेंजर के पद से 1991 में रिटायर हो गए थे।
योगी आदित्यनाथ को अपने गांव पंचूर से गोरखपुर निकले लगभग छह महीने से अधिक का समय हो गया था। उनकी कोई खोज खबर नहीं थी। इस बात से उनके पिता आनंद बिष्ट बेहद परेशान रहते थे।
एक दिन योगी आदित्यनाथ की बहन ने अखबार में एक खबर पढ़ी जिसमें लिखा था कि गोरखपुर के सांसद और गोरक्षपीठाधीश्वर ने दो महीने पहले अपने उत्तराधिकारी के नाम की घोषणा कर दी है। वह योगी आदित्यनाथ हैं और पौड़ी के रहने वाले हैं। जैसे ही उनकी बहन ने ये खबर पढ़ी तुरंत अपने पिता को बताया। बेटी की बात सुनते ही आनंद बिष्ट बेटे से मिलने के लिए गोरखपुर रवाना हो गए। जहां वे सीधे गोरखनाथ मंदिर पहुंचे। 
आनंद सिंह बिष्ट ने गोरखपुर मंदिर एक भगवा धारण किए सिर मुड़ाए एक युवा संयासी को फर्श की सफाई का मुआयना करते देखा। वह जब उनके पास पहुंचे तो हकीकत उनके सामने आ गई, ये उनका उनका अपना बेटा आदित्यनाथ था।
अपने बेटे को संयासी के रूप में देखकर वे अवाक रह गए। उन्होंने कहा कि बेटा यह क्या हाल बना रखा है, यहां से तुरंत चलो। लेकिन आदित्यनाथ नहीं माने। परेशान पिता को देखकर पीठाधीश्वर ने उनके आनंद बिष्ट से बात की और कहा कि आप के पास चार पुत्र हैं, उनमें से एक को समाज सेवा के लिए नहीं दे सकते हैं। इतना सुनने के बाद आनंद बिष्ट निरुत्तर हो गए।  उनके पास कोई जवाब नहीं था। आनंद सिंह कुछ देर के लिए वहीं मंदिर के प्रांगण में बैठ गए और विचार करने लगे। वो समझ चुके थे कि उनका बेटा अब अपना जीवन समाज कल्याण के लिए लगा चुका है।