सार
मेघालय के शिलांग की रहने वाली 7 साल की एक गर्ल स्टूडेंट ने एंटी-बुलिंग ऐप बना दिया है। उसके इस काम की राज्य सरकार ने भी सरहाना की है।
हटके डेस्क। कभी-कभी कम उम्र के बच्चे भी ऐसा काम कर देते हैं, जिस पर लोगों को एकबारगी यकीन नहीं होता। लेकिन कहा गया है कि प्रतिभा उम्र की मोहताज नहीं होती। मेघालय की राजधानी शिलांग की रहने वाली एक 9 साल की छात्रा ने एक एंटी-बुलिंग ऐप बनाने में सफलता हासिल कर ली है। उसके इस काम की सराहना राज्य सरकार ने भी की है। बता दें कि मैदाईबाहुन मॉजा नाम की इस लड़की ने स्कूल में स्टूडेंट्स द्वारा चिढ़ाने और परेशान किए जाने से तंग आकर इस ऐप को बनाया है।
अधिकारियों को सीधे मिलेगी जानकारी
इस ऐप के जरिए पीड़ित की पहचान उजागर किए बिना अधिकारियों को यह जानकारी मिल सकेगी कि कोई किसी को परेशान कर रहा है। उन्हें उस जगह की लोकेशन का पता भी चल जाएगा। इसके बाद वे बदमाशी कर रहे स्टूडेंट्स या दूसरे लोगों को आसानी से पकड़ सकते हैं और उनके खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं।
बुलिंग है बड़ी समस्या
बुलिंग यानी किसी को चिढ़ाना, उसका पीछा करना, गंदी बातें कहना स्टूडेंट्स और दूसरे लोगों के लिए बहुत बड़ी समस्या है। आम तौर पर इसका शिकार लड़कियां और महिलाएं ही बनती हैं। यह समस्या आज की नहीं है। पहले भी ऐसा किया जाता था, पर इंटरनेट और सोशल मीडिया के आ जाने के बाद इंटरनेट बुलिंग की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं। इसमें सोशल मीडिया पर लड़कियों और महिलाओं को तरह-तरह से परेशान किया जाता है। उन पर आपत्तिजनक टिप्पणियां की जाती हैं और हर तरह से उन्हें तंग करने की कोशिश की जाती है।
नर्सरी कक्षा से परेशान की जा रही था मॉजा
मॉजा का कहना है कि जब उसने स्कूल में नर्सरी में एडमिशन लिया, तभी से उसे परेशान किया जाने लगा था। उसे कई तरह से तंग करने की कोशिश की जाती थी। उसके खिलाफ कुछ स्टूडेंट्स ने गैंग बना लिया था और उसका पीछा करते थे। गंदे कमेंट करते थे। एक बार तो किसी स्टूडेंट ने उसके पैरों पर एक मुहर लगा दी थी। इसके बाद ही उसने सोचा कि इस समस्या के समाधान के लिए कुछ ना कुछ करना होगा।
ऐप बनाने की कोशिश में लग गई
मॉजा का कम्प्यूटर की तरफ खास रुझान था। कम उम्र में ही उसे कम्प्यूटर और उसके एप्लिकेशन्स की अच्छी जानकारी हो गई थी। मॉजा ने सोचा कि अब इंटरनेट बुलिंग ज्यादा ही होने लगी है, इसलिए इसे रोकने के लिए कोई ऐप डेवलप करना कारगर हो सकता है। उसने पिछले साल सितंबर महीने में एक ऐप डेवपलमेंट कोर्स में दाखिला लिया और कुछ ही महीने में ऐप बनाना सीख लिया। मॉजा का कहना है कि इस ऐप के यूजर को धमकी देने वाले या तंग करने वाले का नाम घटना के विवरण के साथ देना होगा। इसके बाद मैसेज अधिकारियों, शिक्षकों, अभिभावकों या पुलिस को भेजना होगा। ऐप से मैसेज मिलते ही वे तंग करने वाले लोगों को ट्रैक कर सकते हैं और उनके खिलाफ जरूरी कार्रवाई कर सकते हैं।
42 फीसदी स्कूली बच्चे हैं बुलिंग के शिकार
एक सर्वे से पता चला है कि देश भर मे करीब 42 फीसदी बच्चे बुलिंग के शिकार हैं। यह सर्वे साल 2017 में विप्रो अप्लाइंग थॉट्स इन स्कूल्स एंड टीचर फाउंडेशन ने किया था। इंटरनेट पर बुलिंग और भी ज्यादा की जाती है। खासकर, सोशल मीडिया पर ऐसा काफी होता है। बदमाशों को पकड़ पाना इसलिए मुश्किल होता है कि वे फर्जी आईडी बना कर ऐसा काम करते हैं।