सार

यूरोप में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा मौतें इटली में हुई हैं। अब तक वहां कोरोना से मौत के 919 मामले सामने आ चुके हैं। इटली में कोरोना के ट्रीटमेंट में लगे 6414 हेल्थ वर्कर्स भी जांच में पॉजिटिव पाए गए हैं। यही नहीं, कोरोना मरीजों का इलाज करते हुए 46 डॉक्टरों की भी मौत हो चुकी है।

हटके डेस्क। यूरोप में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा मौतें इटली में हुई हैं। 27 मार्च को कोरोना के 6203 नए मामले इटली में सामने आए। अब तक वहां कोरोना से मौत के 919 मामले सामने आ चुके हैं। इटली में कोरोना के ट्रीटमेंट में लगे 6414 हेल्थ वर्कर्स भी जांच में पॉजिटिव पाए गए हैं। यही नहीं, कोरोना मरीजों का इलाज करते हुए 46 डॉक्टरों की भी मौत हो चुकी है। वैसे तो यूरोप के ज्यादातर देश कोरोना के संक्रमण से जूझ रहे हैं और अमेरिका में भी इसका कहर बढ़ता ही जा रहा है, लेकिन यह सोचने की बात है कि आखिर इटली के तो कई शहर श्मशान में बदल गए। लाशों को उठाने वालों की कमी पड़ गई और हालात पर नियंत्रण स्थापित करने के लिए मिलिट्री का सहारा लेना पड़ा। अभी भी इटली में परिस्थितियां ठीक नहीं हैं। जानते हैं वे 5 कारण, जिनके चलते कोरोना वहां कंट्रोल से बाहर हो गया। 

1. उम्रदराज लोग हैं ज्यादा
इटली में उम्रदराज लोगों की संख्या ज्यादा है। एक आंकड़े के मुताबिक, इटली में 65 साल और इससे ज्यादा उम्र के लोगों की संख्या करीब एक-चौथाई है। कोरोना से बुजुर्ग लोगों की मौत होने की संभावना ज्यादा होती है, क्योंकि इनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है और पहले से भी ये कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं के शिकार होते हैं। ज्यादा उम्र के लोगों में किसी वायरस से लड़ने की क्षमता ज्यादा नहीं रह जाती।

2. जांच करने में हुई कोताही
इटली में कोरोना से ज्यादा मौतें होने की एक वजह इसकी जांच में कोताही बरतना भी बताया जाता है। जिन लोगों में कोरोना के लक्षण नजर आए, उन्होंने इसे गंभीरता से नहीं लिया और टेस्ट कराने नहीं गए, वहीं सरकार ने भी शुरू में इसके खतरे को कम करके आंका। कोराना संक्रमण के शुरुआती स्टेज में कई बार जांच भी नेगेटिव आती है। बाद में तीसरे और चौथे स्टेज में इससे मौतें होने लगती हैं। 

3. संक्रमण का पता देर से चला
जांच में कोताही बरते से संक्रमित मामलों का पता देर से चला। इससे एक से दूसरे और दूसरे से तीसरे में संक्रमण बढ़ता चला गया। बीमारी का विस्फोट अचानक हुआ। दरअसल, कोरोना संक्रमण के मामले में लक्षणों के पूरी तरह से उभर पाने में समय लग जाता है। इससे कम्युनिटी में संक्रमण बढ़ता चला जाता है और जब लक्षण पूरी तरह सामने आ जाते हैं तो महामारी की स्थिति पैदा हो जाती है। यही इटली में हुआ जो ज्यादा मौतों की बड़ी वजह बन गया। 

4. अस्पतालों की व्यवस्था ठीक नहीं
इटली यूरोप का वह देश है, जहां अस्पतालों की व्यवस्था अच्छी नहीं है। इटली के अस्पतालों की हालत अच्छी नहीं बताई जाती है। अस्पतालों में जरूरी सुविधाओं और उपकरणों की कमी है। जब कोरोना के मरीजों की संख्या अचानक तेजी से बढ़ी तो अस्पतालों में बेड की भी कमी पड़ गई। जरूरी उपकरणों की कमी के कारण डॉक्टरों को भी इलाज में दिक्कत होने लगी। कोरोना से सबसे ज्यादा प्रभावित लोम्बार्डी में तो मेडिकल सेवा करीब-करीब ध्वस्त ही हो गई। लोगों को अपने पैसे से रेस्पिरेटर जैसे उपकरण खरीदने पड़े। यहां तक कि डॉक्टरों ने ज्यादा उम्र के मरीजों को बिना इलाज के छोड़ कर युवा मरीजों का इलाज करना शुरू कर दिया। 

5. देर से हुआ लॉकडाउन
कोरोना के खतरे को देर से समझने के कारण सरकार ने लॉकडाउन की घोषणा करने में देर कर दी। अब जबकि कोरोना अनियंत्रित हो गया, तो लॉकडाउन को सख्ती से लागू किया जा रहा है, लेकिन पहले लोगों ने लॉकडाउन का उल्लंघन किया और प्रशासन ने उन पर कोई कार्रवाई नहीं की। लोग बाजारों और पार्कों में घूमते रहे। दूसरी तरफ, इटली के आर्थिक हालत भी अच्छे नहीं हैं और जरूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर की भी वहां कमी है।