सार

पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है। अब तक 1.9 करोड़ मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, 7.3 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, एक देश ऐसा भी है, जहां पिछले 100 दिन से कोरोना का एक भी केस सामने नहीं आया। हम बात कर रहे हैं न्यूजीलैंड की। 

वेलिंगटन. पूरी दुनिया कोरोना वायरस से जूझ रही है। अब तक 1.9 करोड़ मामले सामने आ चुके हैं। वहीं, 7.3 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, एक देश ऐसा भी है, जहां पिछले 100 दिन से कोरोना का एक भी केस सामने नहीं आया। हम बात कर रहे हैं न्यूजीलैंड की। न्यूजीलैंड ने कोरोना वायरस के बगैर 100 दिन पूरे कर लिए हैं। कोरोना से जंग में न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने अहम भूमिका निभाई है। आईए जानते हैं कि विश्व भर में फैली इस महामारी से न्यूजीलैंड ने खुद को कैसे बचाया? 

26 फरवरी को न्यूजीलैंड में कोरोनावायरस का पहला मामला सामने आया था, जबकि कम्युनिटी ट्रांसमिशन का आखिरी केस 1 मई को सामने आया, इसे पूरी तरीके से खत्म होने के लगभग 65 दिन हो चुके हैं।

कैसे पाया वायरस से छुटकारा छुटकारा?
 

  • देश की सीमाओं में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिए गए। देश भर की सीमा को पूरी तरीके से नियंत्रण में किया गया।
  • कम्युनिटी ट्रांसमिशन को रोकने के लिए लॉकडाउन लगाया गया और सोशल डिस्टेंसिंग का कठोर रुप से पालन किया गया।
  • जहां कोरोना के केस सामने आए, वहां टेस्टिंग, सोशल डिसटेंसिंग और क्वॉरेंटाइन जैसे उपायों का सहारा लिया गया।


प्रति 10 लाख पर सबसे कम मौतों वाले देश 

देश10 लाख पर मौतें
न्यूजीलैंड4
ऑस्ट्रेलिया10
जर्मनी110
अमेरिका488
स्वीडन570
बेल्जियम850


क्या है न्यूजीलैंड की स्ट्रेटेजी ? 
न्यूजीलैंड अन्य देशों के मुकाबले बहुत ही छोटा देश है, जिसकी न्यायपालिका भी बहुत छोटी है। लेकिन इसके बावजूद न्यूजीलैंड ने जिस तरीके से और तेजी से इस महामारी का सामना किया है वह एक उदाहरण है। आज भी बहुत से देश न्यूजीलैंड के समान स्थिति में है, लेकिन फिर भी बहुत हद तक उस जैसी स्ट्रेटेजी को फॉलो नहीं कर पाते। ऑस्ट्रेलिया ने बहुत हद तक यही स्ट्रेटेजी को अपनाया। यह गौर करने वाली बात है कि ऑस्ट्रेलिया में सकारात्मक परिणाम देखने को मिले।

लॉकडाउन से मिली सफलता
मुख्य अंतर यह है कि न्यूजीलैंड ने स्पष्ट रूप से अपेक्षाकृत जल्दी और आक्रमक तरीके से इस महामारी का पीछा किया। तुरंत लगाया जाने वाला लॉकडाउन इस वायरस को तेजी से खत्म करने में बहुत प्रभावी साबित हुआ। इस अंतर को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा प्रकाशित इस ग्राफ में साफ तौर पर देखा जा सकता है।

वैश्विक रूप से देखा जाए तो न्यूजीलैंड में कोविड-19 का अनुभव पूरे विश्व के लिए एक प्रमुख सबक साबित हो सकता है। महामारी का जोरदार निर्णायक प्रतिक्रिया के साथ सामना करना और मौत के मामलों को प्रभावी तरीके से नीचे लाना देश कि जनता और प्रशासनिक अधिकारियों का सामजस्य ही है। 

क्या कहना हैं न्यूजीलैंड कि सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों का 
कोरोना से जंग में न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न और उनके नेतृत्व की विश्वभर में तारीफ हो रही है। उन्होंने हर रोज लोगो को लॉकडाउन और कोरोना वायरस से सम्बंधित जानकारी दी और सख्ती से इसका पालन करने को भी कहा। लोगो में विशवास जगाने वाली यह महिला प्रधानमंत्री अपनी जनता का दिल और महामारी से जंग दोनों जीत चुकी है। देश में अब तक संक्रमण के करीब 1,500 मामले सामने आए हैं और इनमें से 22 लोगों की मौत हुई है।





न्यूजीलैंड से सीखने वाली कुछ खास बातें

•    हमने पिछले 8 महीनों में कोविड-19 की बेहतर समझ हासिल कर ली है। वह भी बगैर प्रभावी नियंत्रण उपायों के यह वायरस कईं महीनों से सालों तक विश्व भर में फैलता रहेगा और सभी को संक्रमित करता रहेगा और यह लाखों को मार भी सकता है। हालांकि, मरने वालो और संक्रमित लोगों का अनुपात 1% से थोड़ा कम दिखाई देता है। 
•    यह संक्रमण कुछ बचे लोगों के लिए लंबे वक्त के लिए गंभीर परिणाम भी दे सकता है। सबसे बड़ी समस्या जो इस वायरस से जुड़ी है वह है प्रतिरोधक क्षमता।
•    इस वायरस को पूरी तरीके से खत्म करने में उच्च स्तर की स्ट्रेटेजी बनानी होगी। रिस्क मैनेजमेंट स्थापित करना होगा जिसे पूरी सावधानी और सुरक्षा के साथ अमल में लाना बहुत जरूरी है। हमें लगातार कोविड-19 के मामलों स्तर को नीचे लाना होगा। हमें ऐसा काफी महीनों तक करना पड़ सकता है। हालांकि अंतरराष्ट्रीय यात्रा के खुलने पर इस वायरस की वृद्धि की भी आशंका लगाई जा सकती है।
•    न्यूजीलैंड वैश्विक महामारी की वास्तविकता को तो नहीं बदल सकता, लेकिन संभावित लाभों का फायदा तो उठा ही सकता है।