सार

पाकिस्तान में गधे(donkey population in pakistan) हमेशा मीडिया की सुर्खियों में रहते हैं। लेकिन यह मामला गधों की तुलना भ्रष्ट नेताओं से करने से जुड़ा है। पाकिस्तान की एक सत्र अदालत( sessions court) में एक व्यक्ति ने याचिका लगाई है। इसमें गधों की तुलना भ्रष्ट नेताओं से करने पर आपत्ति जताई है। याचिका में तर्क दिया गया है कि गधों की ऐसे नेताओं से तुलना करना गलत है।

कराची. पाकिस्तान की एक कोर्ट में अजीबो-गरीब याचिका दाखिल की गई है। वैसे पाकिस्तान में गधे(donkeys) हमेशा मीडिया की सुर्खियों में रहते हैं। लेकिन यह मामला गधों की तुलना भ्रष्ट नेताओं से करने से जुड़ा है। पाकिस्तान की एक सत्र अदालत(sessions court) में एक व्यक्ति ने एक याचिका लगाई है। इसमें गधों की तुलना भ्रष्ट नेताओं से करने पर आपत्ति जताई है। याचिका में तर्क दिया गया है कि गधों की ऐसे नेताओं से तुलना करना गलत है।

कोर्ट ने FIA की साइबर क्राइम ब्रांच से मांगा जवाब
A petition has been filed against likening politicians to donkeys: भ्रष्ट राजनेताओं की तुलना गधों से करने के खिलाफ एक सत्र अदालत में याचिका दायर की गई है। 30 जून को मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (FIA) की साइबर क्राइम ब्रांच से 5 जुलाई को जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया कि गधा एक मेहनती और निर्दोष जानवर(Donkey is a hardworking and innocent animal) है और इसे भ्रष्ट राजनेताओं से जोड़ना अनुचित है। यह याचिका एक नागरिक ने दूसरे नागरिक के खिलाफ दायर की है, जिसने सोशल मीडिया पर अपनी एक पोस्ट में भ्रष्ट नेताओं की तुलना गधों से की थी। कोर्ट ने FIA को उसके खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया है।

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में गधों का बड़ा योगदान
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में गधों का बड़ा योगदान रहा है। पाकिस्तान में गधों की आबादी(Population of donkey) लगातार बढ़ती रही है। इससे सरकार खुश है। पाकिस्तान के इकोनॉमिक सर्वे के डेटा के अनुसार, वित्त वर्ष(financial year) 2020-21 के दौरान गधों की आबादी बढ़कर 5.7 मिलियन हो गई है। 2021 से 22 तक पशुधन ने एग्रीकल्चर वैल्यू में लगभग 61.9% और राष्ट्रीय सकल घरेलू उत्पाद(national GDP) में 14.0% का योगदान दिया है। बता दें कि पशुपालन(Animal husbandry) पाकिस्तान के ग्रामीण अंचल के निवासियों के लिए रोजी-रोटी का सबसे बड़ा जरिया है। करीब 8 मिलियन से अधिक ग्रामीण परिवार इन पर डिपेंड हैं। इनकी आमदनी का लगभग 35-40% इसी क्षेत्र से मिलता है। पशुधन का सकल मूल्यवर्धन(The gross value addition of livestock) 5,269 अरब रुपये (2020-21) से बढ़कर 5,441 अरब रुपये (2021-22) हो गया है, जो 3.26% की वृद्धि दिखाता है। लिहाजा सरकार भी देश में इकोनॉमिक ग्रोथ, फूड सिक्योरिटी और गरीबी कम करने के लिए इसी क्षेत्र पर अपना फोकस कर रही है। 

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