सार
Afghanistan को तालिबान के हाथों सौंपकर घर वापसी करने वाले अमेरिका की निगाहों में अब आतंकवादी संगठन ISIS चढ़ा हुआ है। अमेरिका अब इसके खिलाफ लड़ाई के लिए पाकिस्तान पर प्रेशर बना रहा है।
वाशिंगटन. अफगानिस्तान में शनिवार को तालिबानी सरकार का गठन हो जाएगा। इस बीच अमेरिका अब पाकिस्तान पर आतंकवादी संगठनों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए पाकिस्तान पर दवाब बना रहा है। इस संबध में अमेरिकी राजधानी Washington को कवर करने वाले एक न्यूज आउलेट Politico ने शुक्रवार को वाशिंगटन और इस्लामाबाद के बीच हाल में मैसेज के आदान-प्रदान पर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है।
अलकायदा और ISIS पर नजर
रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि बिडेन प्रशासन गुपचुप तरीके से पाकिस्तान पर आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में सहयोग का दवाब बना रहा है। अलकायदा और ISIS अब अमेरिका के टार्गेट पर हैं। अमेरिका पाकिस्तान को एक ऐसे राष्ट्र के तौर पर देख रहा है, जो अफगान और तालिबान से जुड़ा है। इसलिए यह आतंकवादी संगठनों के खिलाफ लड़ाई में मददगार साबित हो सकता है।
अमेरिका ने पाकिस्तान को मददगार बताया
बुधवार को अमेरिका की राजनीतिक मामलों की अवर विदेश मंत्री विक्टोरिया नूलैंड (US Under Secretary of State for Political Affairs Victoria Nuland) ने पाकिस्तान को उन देशों की लिस्ट में जगह दी, जिसने अमेरिका के लोगों को अफगानिस्तान से निकालने में मदद की। इसके लिए अमेरिका ने पाकिस्तान को थैंक्स भी बोला।
तालिबान सरकार की मदद को आगे आए पाकिस्तान और चीन
Afghanistan पर शासन जमा चुके तालिबान ने यह कहकर दुनियाभर को चौंका दिया है कि चीन उसका सबसे अच्छा साझेदार है। इस बीच पाकिस्तान अपने यहां होने वाली सार्क देशों के मीटिंग से पहले अफगानिस्तान को दुनिया के सामने 'अच्छी सरकार' बताने की कवायद में जुट गया है। अफगानिस्तान को अमेरिका से मदद मिलना बंद हो चुकी है। ऐसे में अब चीन आगे आया है। तालिबान यह बयान दे चुका है कि चीन उसका सबसे अच्छा साझेदार है। 28 जुलाई को चीनी स्टेट काउंसलर और विदेश मंत्री वांग यी ने चीन के तियानजिन में अफगानिस्तान के तालिबान के राजनीतिक प्रमुख मुल्ला अब्दुल गनी बरादर से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद चीन और अफगानिस्तान की बढ़ती नजदीकियां सामने आ गई थीं। क्लिक करके पढ़ें