Bangladesh Protests: कट्टरपंथी नेता उस्मान हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में हिंसक विरोध भड़क उठे। ढाका और राजशाही में अवामी लीग दफ्तरों में आगजनी, मीडिया दफ्तरों पर हमला और भारत विरोधी नारे लगे। हालात तनावपूर्ण हैं।

Bangladesh Protests After Osman Hadi Death: बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। कट्टरपंथी नेता शरीफ उस्मान हादी की मौत के बाद राजधानी ढाका समेत कई शहरों में हालात बेकाबू हो गए हैं। सड़कों पर गुस्सा है, नारे हैं, आगजनी है और डर का माहौल है। सवाल यह है कि क्या ओस्मान हादी की मौत सिर्फ एक हत्या है या इसके पीछे कोई बड़ा राजनीतिक खेल छिपा है?

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कौन थl शरीफ उस्मान हादी?

शरीफ उस्मान हादी ‘इंकलाब मंच’ के संयोजक थे और जुलाई विद्रोह के प्रमुख आयोजकों में गिने जाते थे। वे खुले तौर पर अवामी लीग, शेख हसीना और भारत समर्थक राजनीति के कट्टर विरोधी माने जाते थे। उनके भाषण अक्सर तीखे, उग्र और भड़काऊ होते थे, जिस कारण वे समर्थकों के लिए “क्रांतिकारी” तो विरोधियों के लिए “खतरा” थे।

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हत्या कैसे हुई और सिंगापुर तक क्यों ले जाया गया?

12 दिसंबर को ढाका के बिजोयनगर इलाके में प्रचार के दौरान अज्ञात हमलावरों ने हादी के सिर में गोली मार दी। हालत गंभीर होने पर उन्हें इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया, लेकिन अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। विदेश मंत्रालय ने खुद उनकी मौत की पुष्टि की, जिसके बाद पूरे देश में तनाव फैल गया।

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ढाका से राजशाही तक क्यों भड़क उठे हिंसक प्रदर्शन?

हादी की मौत की खबर फैलते ही ढाका में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि सरकार और सुरक्षा एजेंसियां हादी की रक्षा करने में नाकाम रहीं। देखते ही देखते हालात बिगड़ गए और डेली प्रोथोम आलो और डेली स्टार के दफ्तरों में तोड़फोड़ और आगजनी कर दी गई। राजशाही में हालात और ज्यादा बिगड़े, जहां शेख मुजीबुर रहमान के आवास और एक अवामी लीग कार्यालय को आग के हवाले कर दिया गया।

भारत विरोधी नारे और राजनयिक ठिकाने पर हमला क्यों हुआ?

चट्टोग्राम में प्रदर्शनकारियों ने भारत के उप उच्चायुक्त के आवास पर पत्थरबाजी की। “भारतीय आक्रामकता खत्म करो” जैसे नारे खुलेआम लगाए गए। यह साफ संकेत है कि हादी की मौत ने भारत-बांग्लादेश संबंधों को भी संवेदनशील मोड़ पर ला खड़ा किया है।

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सरकार और मुहम्मद यूनुस का क्या कहना है?

अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने शांति बनाए रखने की अपील की और नागरिकों से कानून हाथ में न लेने को कहा। उन्होंने शुक्रवार को राष्ट्रीय शोक दिवस घोषित किया और भरोसा दिलाया कि इस “जघन्य हत्या” के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। यूनुस ने हादी को “शहीद” बताते हुए कहा कि जो ताकतें उनकी आवाज दबाना चाहती थीं, उन्हें फिर हराया जाएगा।

क्या बांग्लादेश एक और बड़े राजनीतिक तूफान की ओर बढ़ रहा है?

ढाका के कई इलाकों में देर रात से शुरू हुआ बवाल सुबह भी जारी रहा। यहां के सुरक्षा हालात बेहद नाजुक बने रहे। सवाल अब यही है कि क्या ओस्मान हादी की मौत बांग्लादेश में नए राजनीतिक विद्रोह की शुरुआत है? या फिर यह हिंसा देश को और अस्थिरता की ओर धकेल देगी? फिलहाल, पूरा देश जवाब का इंतजार कर रहा है।