सार

ये दो खबरें श्रीलंका की खस्ता हालात को बयां करती हैं। ऐसे बुरे समय में भी चीन दोस्ती और मदद के बहाने श्रीलंका पर गिद्ध दृष्टि गड़ाए बैठा है। लेकिन जाफना यूनिवर्सिटी के एमओयू साइन करने से इनकार के बाद तनाव बढ़ गया है। वहीं, श्रीलंका में स्टेशनरी सामग्री की रेट आसमान छू रही है।
 

कोलंबो( Colombo). बहुत बुरे आर्थिक हालात से गुजर रहे श्रीलंका की मदद के बहाने चीन उस पर कब्जा करने की साजिश रच रहा है। हालांकि उसे एक झटका लगा है, जब जाफना यूनिवर्सिटी ने उसके साथ एमओयू साइन करने से इनकार कर दिया। इस बीच श्रीलंकाई पैरेंट्स बच्चों की पढ़ाई-लिखाई और परवरिश के बीच उलझ गए हैं। स्टेशनरी बहुत महंगी हो गई है। पढ़िए दो खबरें...

1. बच्चो की शिक्षा और रोटी में फंसे पैरेंट्स
एसजेबी मटाले जिले की सांसद रोहिणी कुमारी विजेरथने ने संसद को बताया कि श्रीलंका के अधिकांश माता-पिता अपने परिवारों के लिए भोजन और अपने बच्चों की शिक्षा के बीच चयन करने को लिए उलझन में है। शिक्षा और महिला एवं बाल मामलों के मंत्रालयों(Ministries of Education and Women and Child Affairs) के व्यय मदों के तहत बजट 2023 पर बहस में भाग लेते हुए सांसद ने कहा कि केवल कुछ ही माता-पिता अपने बच्चों को खिलाने और शिक्षित करने में सक्षम हैं।

उन्होंने उदाहरण दिया-एक 80 पेज की एक्सरसाइज बुक की कीमत 200 रुपए(श्रीलंकाई करेंसी) है, एक सीआर बुक की कीमत 560 रुपए है। एक पेंसिल या पेन की कीमत 40 रुपए है। रंगीन पेंसिल के एक बॉक्स की कीमत 570 रुपए है, जबकि गोंद की एक बोतल की कीमत( glue costs) 150 रुपए है। यदि पिता दैनिक वेतन भोगी(daily wage earner) है, तो उसे अपने वेतन का एक चौथाई भाग अपने बच्चे के लिए रंगीन पेंसिल के डिब्बे पर खर्च करना पड़ता है।

एक बैग की कीमत अब करीब 4,000 रुपए है। स्कूल के जूते की एक जोड़ी 3,500 रुपये से ऊपर है। शिक्षा मंत्री अच्छी तरह जानते हैं कि एक बच्चा 80 पन्नों की अभ्यास पुस्तिका को कितने दिनों तक नोट लेने के लिए इस्तेमाल कर सकता है। सांसद विजेरथने ने कहा कि मोटे तौर पर, स्टेशनरी की लागत लगभग 25,000 रुपये से 30,000 रुपये प्रति बच्चा है। बजट 2023 तक शिक्षा मंत्रालय के लिए 232 अरब आवंटित किए गए थे। सांसद ने कहा, "शिक्षकों के वेतन का भुगतान करने और अधिकारियों के खर्चों आदि को पूरा करने के बाद अन्य महत्वपूर्ण मामलों के लिए बहुत कम बजट बचा होगा। इससे देखते हुए कि श्रीलंका जल्द ही ऐसे देश के रूप में जाना जाएगा, जिसने दक्षिण एशियाई क्षेत्र में शिक्षा में सबसे कम धन आवंटन किया है। 

2. एक महत्वपूर्ण खबर ये भी-जाफना यूनिवर्सिटी ने चीन के साथ एमओयू साइन करने से किया इनकार
जाफना यूनिवर्सिटी ने चीन के साथ एमओयू साइन करने से इनकार कर दिया है। कहा गया कि इसमें बीजिंग का छिपा हुआ एजेंडा है। मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार, श्रीलंका के जाफना विश्वविद्यालय द्वारा चीन के राज्य कृषि विश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने से इनकार करने के बाद श्रीलंका और चीन के संबंध और अधिक तनावपूर्ण हो गए हैं।

श्रीलंकाई मीडिया सीलोन टुडे ने बताया कि जाफना विश्वविद्यालय के कुलपति शिवकोलुंडु श्रीसत्कुनाराजा(Jaffna University Vice Chancellor Sivakolundu Srisatkunarajah ) ने चीन के राज्य कृषि विश्वविद्यालय के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया, जिसमें कहा गया है कि इस सौदे में उत्तर और पूर्व में विकास परियोजनाओं के बहाने उपजाऊ भूमि हड़पने का चीन का गुप्त एजेंडा है। इसके बाद से चीन और श्रीलंका के संबंध और अधिक तनावपूर्ण हो गए हैं। 

छात्र संघ ने सरकार से लोगों की इच्छा के विरुद्ध चीन के साथ समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर नहीं करने की अपील की थी। अब छात्र संघ ने एमओयू पर हस्ताक्षर करने से इनकार करने के लिए अपने कुलपति का आभार व्यक्त किया है। बयान में आगे कहा गया है कि चीन ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से समुद्री खीरे की खेती को बढ़ावा देने के बहाने समुद्री क्षेत्रों के बड़े हिस्से को हड़प लिया है और मछुआरों के बीच विभाजन पैदा कर दिया।

आरोप लगते रहे हैं कि चीन ने कथित तौर पर श्रीलंका को उर्वरक के रूप में हानिकारक बैक्टीरिया के साथ खराब मटैरियल (faecal matter) की सप्लाई की और श्रीलंका को लाखों रुपये का भुगतान करने के लिए मजबूर किया। यह एक बड़ा उदाहरण है कि चीन कैसे श्रीलंका की उपजाऊ कृषि भूमि को हड़प लेगा और आगामी फूड क्राइसिस के मैनेजमेंट के बहाने गुलाम बना लेगा।

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