China Victory Parade: चीन ने एक बड़ी सैन्य परेड निकाली, जिसमें रूस, उत्तर कोरिया और ईरान समेत अमेरिका के कई विरोधी देशों के नेता शामिल हुए।

China Victory Parade: चीन ने बुधवार को द्वितीय विश्व युद्ध में जापान पर जीत की 80वीं वर्षगांठ पर एक सैन्य परेड आयोजित की। इस परेड में चीन ने अपनी आधुनिक सैन्य शक्ति का प्रदर्शन किया। इसमें अत्याधुनिक जेट लड़ाकू विमान, मिसाइल प्रणाली और इलेक्ट्रॉनिक युद्धक उपकरण समेत कई नए हथियारों को पहली बार जनता के सामने पेश किए गए। इस दौरान चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, उत्तर कोरिया के किम जोंग उन और ईरान के राष्ट्रपति मसूद पजेशकियन भी मौजूद रहे।

ट्रंप ने सोशल मीडिया पर शेयर किया ये पोस्ट

डोनाल्ड ट्रंप दुनिया भर के देशों पर अपने टैरिफ के जरिए दबाव डालने की कोशिश कर रहे हैं। ऐसे में चीन की यह परेड और कई देशों के नेताओं की एक साथ मौजूदगी को अमेरिकी दबाव का जवाब माना जा रहा है, जिससे ट्रंप जरूर असहज महसूस कर रहे होंगे। इस बीच ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, "सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग उस मदद और बलिदान का जिक्र करेंगे,जो अमेरिका ने चीन को विदेशी आक्रमणकारियों से आजादी दिलाने में दिया था।"

बेटी के साथ चीन पहुंचे किम जोंग उन

किम जोंग उन अपनी बेटी किम जू ए के साथ मंगलवार रात ट्रेन से बीजिंग पहुंचे। 2019 के बाद उनकी यह पहली चीन यात्रा है। उनकी यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब उत्तर कोरिया और चीन के बीच रिश्तों में खटास की चर्चा हो रही थी। पड़ोसी देशों में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली और मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू भी चीन की परेड में शामिल हुए। हालांकि, भारत इसमें हिस्सा नहीं लिया। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनकी पत्नी पेंग लियुआन ने सभी विदेशी मेहमानों का गर्मजोशी से स्वागत किया।

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SCO उच्च स्तरीय शिखर बैठक के बाद हुई परेड

यह परेड SCO उच्च स्तरीय शिखर बैठक की हाल ही में संपन्न बैठक के तुरंत बाद आयोजित की गई। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई मुलाकातों को खासा ध्यान मिला। वहीं, परेड के दौरान अमेरिका द्वारा रूस से तेल खरीद पर भारत पर 50% टैरिफ लगाने के फैसले को भी नजरअंदाज नहीं किया गया, जिसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अहम माना जा रहा है।