सार

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प को एक महीने पूरे हो चुके हैं, लेकिन एक महीने बाद भी चीन अपने सैनिकों को सम्मान के साथ दफनाने के लिए तैयार नहीं है। अमेरिकी खुफिया रिपोर्टों में कहा गया है कि सैनिकों के परिवारों पर दबाव डाला जा रहा है कि वे झड़प में मारे गए सैनिकों को सम्मान के साथ नहीं बल्कि किसी दूर दराज के इलाके में चुपचाप दफन कर दें। 

नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख में भारत और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प को एक महीने पूरे हो चुके हैं, लेकिन एक महीने बाद भी चीन अपने सैनिकों को सम्मान के साथ दफनाने के लिए तैयार नहीं है। अमेरिकी खुफिया रिपोर्टों में कहा गया है कि सैनिकों के परिवारों पर दबाव डाला जा रहा है कि वे झड़प में मारे गए सैनिकों को सम्मान के साथ नहीं बल्कि किसी दूर दराज के इलाके में चुपचाप दफन कर दें। 

चीन ऐसा क्यों कर रहा है?
चीन ऐसा कदम इसलिए उठा रहा है क्योंकि वह शुरू से ही इस बात से इनकार करता आया है कि उसके सैनिक मारे गए हैं। आज भी चीन ने मारे गए सैनिकों पर कोई बयान नहीं दिया है। उसे डर है कि इससे उसकी ताकत पर सवाल उठने लगेंगे।
- अमेरिका का मानना है कि यदि चीन मान लेता है कि हिंसक झड़प में चीन के सैनिकों ज्यादा संख्या में मरे हैं तो यह उसके लिए परेशानी खड़ा कर सकता है।

15 जून को हुई थी हिंसक झड़प
बता दें कि 15 जून को निहत्थे भारतीय सैनिकों पर चीन ने धोखे से हमला किया था। दोनों देशों के बीच तय प्रोटोकॉल की वजह से भारतीय सैनिक अपने साथ हथियार नहीं ले गए थे। 

सैनिकों के परिवार को धमकाया जा रहा
रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन में जिन परिवार के सैनिक मारे गए हैं, उनके ऊपर सार्वजनिक रूप से अंतिम संस्कार नहीं करने का दबाव बनाया जा रहा है। उन्हें कहा जा रहा है कि सार्वजनिक रूप से अंतिम संस्कार की बजाय कहीं दूर दराज के इलाके में चोरी-छिपे अंतिम संस्कार कर दें।

सोशल मीडिया पर बयां कर रहे हैं दर्द
चीन द्वारा मारे गए सैनिकों के परिवारों को डांटने और डराने की कोशिशों के बावजूद परिवार इसे स्वीकार करने की स्थिति में नहीं हैं। वे कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर अपना दर्द बयां कर रहे हैं। इकोनॉमिक टाइम्स ने एक सूत्र के हवाले से कहा, वास्तविकता यह है कि चीन सैनिकों को शहादद का दर्जा नहीं देना चाहता। इसलिए सैनिकों के परिवार और उनके दोस्तों पर दबाव बना रहा है।

भारत ने किया शहीदों का सम्मान
दूसरी ओर भारत ने कभी भी हिंसक झड़प में शहीद हुए सैनिकों के बारे में कुछ भी छुपाने की कोशिश नहीं की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सैनिकों के बलिदान को स्वीकार किया है। चीना द्वारा मारे गए सैनिकों के परिवारों पर दबाव डालना वास्तव में दुखद है।