सार
ब्रिटिश मेडिकल जर्नल लांसेट (Lancet) ने कोरोना वायरस के खिलाफ स्वदेशी वैक्सीन, भारत बायोटेक के कोवैक्सिन (Covaxin) के प्रभावों पर एक स्टडी पब्लश की गई है, जिसमें कहा गया है कि वैक्सीन की खुराक को लोगों ने अच्छी तरह से सहन किया है।
नई दिल्ली. ब्रिटिश मेडिकल जर्नल लांसेट (Lancet) ने कोरोना वायरस के खिलाफ स्वदेशी वैक्सीन, भारत बायोटेक के कोवैक्सिन (Covaxin) के प्रभावों पर एक स्टडी पब्लश की गई है, जिसमें कहा गया है कि वैक्सीन की खुराक को लोगों ने अच्छी तरह से सहन किया है। साथ ही बताया जा रहा है कि इसके कोई भी साइड इफेक्ट सामने नहीं आए हैं। भारत बायोटेक इंटरनेशनल द्वारा फाउंडेड इस स्टडी को वैक्सीनेशन (Vaccination) के पहले चरण के परीक्षण के दौरान आयोजित किया गया था। इमेरजेंसी यूज के लिए मिली परमिशन...
कोवैक्सीन का निर्माण भारत बायोटेक और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) के सहयोग से किया गया है। इसके साथ ही इसमें नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) पुणे का भी योगदान है। इस वैक्सीन को इमेरजेंसी यूज के ट्रायल की परमिशन भारत सरकार द्वारा मिली है।
तीसरे फेस के ट्रायल के लिए तैयार है कोवैक्सीन
कोवैक्सीन को तीसरे फेस के ट्रायल के लिए भेजने की तैयारी हो गई है। एक्सपर्ट के मुताबिक, भारत की ड्रग रेग्यूलेटर के द्वारा इस महीने में इमेरजेंसी अप्रूवल दिया गया है। इस वैक्सीन को BBV152 नाम दिया गया। लोगों ने टीके के सभी खुराक को अच्छी तरह से सहन किया गया था। इस ट्रायल में 827 लोगों ने भागीदारी की थी और 375 लोग ऐनरोल हुए थे।
देश के 11 अस्पतालों में किया गया परीक्षण
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कहा जा रहा है कि वैक्सीन का ट्रायल पूरे देश में 11 अस्पतालों में किया गया था और डोज को 28 दिनों तक ना करके 14 दिन तक मैनेज किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया कि प्रतिभागियों को कई ग्रुप में बांटा गया था और वैक्सीन की डोज से सभी के इम्यून में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई थी।
रिएक्शनोजेनेसिटी का आकलन करने के लिए परीक्षण के बाद प्रतिभादियों को दो घंटे के लिए ऑब्जर्व किया गया। इसके साथ ही सात दिनों के भीतर (हर डोज के बाद) स्थानीय और सिस्टमेटिक प्रतिक्रियाओं को रिकॉर्ड करने का निर्देश दिया गया था। इस स्टडी में सभी वैक्सीनेशन वाले ग्रुप में लोकल और सिस्टमेटिक एडवर्स इवेंट को 14 से 21 प्रतिशत तक पाया गया।
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लॉकडाउन के दौरान की गई थी स्टडी
ये स्टडी लॉकडाउन के दौरान की गई थी। इस स्टडी में करीब 375 प्रतिभागियों को 13 से 30 जुलाई के बीच शामिल किया गया था। स्टडी में ये भी कहा गया कि उस समय हर दिन आने वाले पॉजिटिव पेशेंट की संख्या ज्यादा थी, इसलिए बहुत ज्यादा प्रतिभागी वायरस के संपर्क में थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि सैंपल आकार जानबूझकर रिएक्शन को बेअसर करने के संबंध में सार्थक निष्कर्षों की निष्कासन क्षमता को बढाने के लिए था।
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16 जनवरी से दी जा रही है कोविड वैक्सीन
16 जनवरी से देश के लोगों को कोरोना वैक्सीन दी जा रही है। इस फेहरिस्त में सबसे पहले हेल्थ वर्कर्स को शामिल किया गया है। इसके बाद 50 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को वैक्सीन दी जाएगी।
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