सार

आर्थिक संकट से गुजरते श्रीलंका को मझधार में छोड़कर भागे राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को अपने यहां आश्रय देकर मालदीव निशाने पर आ गया है। मालदीव की अपोजिशन पार्टी सरकार के खिलाफ खड़ी हो गई है। इस मामले में न सिर्फ मालदीव की फजीहत हो रही है,बल्कि यहां राजनीतिक संकट भी खड़ा हो सकता है। पढ़िए मालदीव किस तरह फजीहत करा रहा...

वर्ल्ड न्यूज डेस्क. आर्थिक संकट में फंसे अपने देश श्रीलंका(Economic Crisis in Sri Lanka) को छोड़कर भागे राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे( Sri Lanka President Gotabaya Rajapaksa) की मदद करना मालदीव को भारी पड़ सकता है। बता दें कि गोटबाया के देश छोड़कर भाग जाने के बाद श्रीलंका में इमरजेंसी लगानी पड़ी है। मालदीव की अपोजिशन पार्टी सरकार के खिलाफ खड़ी हो गई है। इस मामले में न सिर्फ मालदीव की फजीहत हो रही है,बल्कि यहां राजनीतिक संकट भी खड़ा हो सकता है। पढ़िए मालदीव किस तरह फजीहत करा रहा...

मालदीव के राष्ट्रपति और पूर्व राष्ट्रपति दोनों कठघरे में
मालदीव के विपक्षी गठबंधन(The Maldives opposition coalition) ने आरोप लगाया है कि राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह( President Ibrahim Mohamed Solih) और संसद अध्यक्ष मोहम्मद नशीद(Parliament Speaker Mohamed Nasheed) ने मिलकर गोटाबाया को अपने देश से भागने में मदद की। राष्ट्रपति सोलिह इस समय हज यात्रा के लिए सऊदी अरब में हैं। मालदीव नेशनल पार्टी (MNP) के संसदीय समूह ने गोटाबाया को श्रीलंका से भागने में मदद करने के लिए सरकार के कार्यों की समीक्षा के लिए संसद में एक प्रस्ताव दायर करने का फैसला किया है।

मालदीव के लिए मुसीबत बने गोटबाया
जैसे ही श्रीलंकाई अधिकारियों ने पुष्टि की है कि गोटबाया एक सैन्य विमान से मालदीव पहुंचे हैं, हड़कंप मच गया था। रिपोर्टों के अनुसार, जब गोटबाया का सैन्य विमान उड़ान भर रहा था, तब शुरू में मालदीव के वेलाना अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (VIA) पर उतरने की अनुमति नहीं दी गई थी। लेकिन कथित तौर पर दूसरे प्रयास में पूर्व राष्ट्रपति और स्पीकर नशीद की सिफारिश के बाद अनुमति दे दी गई। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि गोटबाया ने मालदीव पहुंचने पर आगे क्या किया, क्योंकि न तो मालदीव सरकार और न ही पूर्व राष्ट्रपति नशीद ने इस मुद्दे पर कोई टिप्पणी की है। 

मालदीव के विपक्षी नेताओं और आलोचकों का कहना है कि नशीद जैसे लोकतंत्र से प्यार करने का दावा करने वाले नेता के लिए गोटबाया की मदद करना अस्वीकार्य है। गोटबाया पर भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी का आरोप है। आलोचकों का कहना है कि नशीद को किसी दिन इस जघन्य कृत्य की कीमत चुकानी पड़ेगी।

दरअसल, एक प्रमुख श्रीलंकाई पत्रकार शिहार अनीज़ ने ट्वीट किया था कि श्रीलंका से गोट बाया के भागने में पूर्व राष्ट्रपति नशीद ने मदद की थी, जो सुशासन की वकालत करने का दावा करते हैं। इस बीच मालदीव के पूर्व विदेश मंत्री अहमद शहीद ने ट्वीट किया कि मालदीव के अधिकारियों ने एक ऐसे अपराधी को संरक्षण दिया है, जिसने युद्ध अपराध किया है और यह एक शर्मनाक कदम था।

श्रीलंका के हालात और खराब
आर्थिक संकट में जूझते श्रीलंका में अराजकता इसलिए और बढ़ गई, क्योंकि राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने इस्तीफा दिए बिना देश छोड़ दिया। प्रधान मंत्री रानिल विक्रमसिंघे कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर रहे हैं। विक्रमसिंघे की नियुक्ति की घोषणा स्पीकर महिंदा यापा अबेवर्धने को तब करनी पड़ी, जब वायु सेना ने पुष्टि की कि राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे और उनकी पत्नी इयोमा मालदीव के लिए रवाना हो गए हैं। हालात इतने खराब हो गए कि श्रीलंका के कार्यवाहक राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे(Acting President of Sri Lanka Ranil Wickremesinghe) को गुरुवार (14 जुलाई) तक पूरे द्वीप पर कर्फ्यू घोषित करना पड़ा था। हालांकि कर्फ्यू की घोषणा के बावजूद हजारों प्रदर्शनकारी शहर में बने रहे। उन्होंने राष्ट्रपति भवन, राष्ट्रपति सचिवालय और टेम्पल ट्रीज को खाली करने या शहर छोड़ने से इनकार कर दिया। हज़ारों प्रदर्शनकारी प्रांतों से कोलंबो पहुंचे हैं और कर्फ्यू को तोड़ते हुए प्रदर्शन करते रहे।

अमेरिका ने दे रखा है श्रीलंका को सबसे बड़ा कर्ज, चीन की हिस्सेदारी महज 10 प्रतिशत
श्रीलंका पर अपने विदेशी कर्ज(external debt) का 81 फीसदी हिस्सा अमेरिका और यूरोपीय वित्तीय संस्थानों और पश्चिमी सहयोगी जापान और भारत का है। चीन की हिस्सेदारी सिर्फ 10% है। लेकिन अमेरिका श्रीलंका के आर्थिक संकट के लिए चीनी ऋण जाल(Chinese debt traps) को दोषी ठहराता है।

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